बिहार में मतदाता सूची का ताज़ा आंकड़ा जारी हो गया है। राज्य में अब कुल 7 करोड़ 42 लाख मतदाता दर्ज किए गए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने बताया कि स्पेशल समरी रिवीजन (SSR) और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के बाद यह बदलाव सामने आया है। इस दौरान 47 लाख पुराने नाम सूची से हटाए गए, जबकि नए वोटरों को जोड़ा गया है।
कितने वोटर बढ़े और घटे
जानकारी के मुताबिक, संशोधित सूची में बड़ी संख्या में नए वोटर जुड़े हैं, वहीं कई पुराने या डुप्लीकेट नाम हटाए गए हैं। खासकर मृत व्यक्तियों और स्थानांतरित हुए लोगों के नाम सूची से निकाले गए हैं। निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ की गई है ताकि भविष्य में किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
महिला मतदाताओं की स्थिति
बिहार की मतदाता सूची में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, महिला वोटरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आयोग का कहना है कि इस बार महिला वोटरों का प्रतिशत और अधिक बढ़ा है, जो लोकतंत्र में उनकी सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
युवा वोटरों पर खास ध्यान
निर्वाचन आयोग ने 18 से 19 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं पर विशेष ध्यान दिया है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कैंप लगाकर युवाओं को वोटर सूची में नाम दर्ज कराने के लिए प्रेरित किया गया। इससे बड़ी संख्या में नए युवा मतदाता जुड़े हैं। आयोग का मानना है कि यह लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में अहम कदम है।
राजनीतिक महत्व
आगामी चुनावों के लिहाज से यह आंकड़ा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार में मतदाताओं की इतनी बड़ी संख्या राजनीतिक दलों के लिए रणनीति तय करने में निर्णायक होगी। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में वोटर संरचना में आए बदलाव चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
आयोग की अपील
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी पंजीकृत मतदाताओं से अपील की है कि वे समय रहते अपने नाम और अन्य विवरण जांच लें। यदि कहीं त्रुटि या गड़बड़ी हो, तो उसे सुधारने की सुविधा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से उपलब्ध है।
बिहार की अपडेटेड मतदाता सूची से साफ है कि राज्य में लोकतंत्र की भागीदारी बढ़ रही है। हालांकि, नाम हटने से प्रभावित परिवारों के बीच असंतोष भी देखने को मिल रहा है।