यूक्रेन युद्ध में हालात लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। अमेरिका ने अब यूक्रेन को टॉमहॉक क्रूज मिसाइल देने का ऐलान किया है। यह वही घातक हथियार है जिसने पहले इराक युद्ध के दौरान तबाही मचाई थी। इस खबर के बाद रूस की चिंताएं और गहरी हो गई हैं, क्योंकि टॉमहॉक मिसाइल को अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स की सबसे खतरनाक मारक क्षमता वाला हथियार माना जाता है।
टॉमहॉक मिसाइल की खासियत
टॉमहॉक एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जो 1,600 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत और विमान से दागा जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है—कम ऊंचाई पर उड़ते हुए रडार से बचकर सटीक निशाना साधना। 450 किलो तक का विस्फोटक ले जाने में सक्षम यह मिसाइल दुश्मन के कमांड सेंटर, रडार स्टेशन और हथियार भंडार को चंद सेकंड में नेस्तनाबूद कर सकती है।
इराक युद्ध का उदाहरण
1991 के खाड़ी युद्ध और 2003 के इराक आक्रमण में अमेरिका ने टॉमहॉक मिसाइल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था। इराकी सेना की कई अहम सैन्य ठिकानों और बंकरों को इन मिसाइलों ने धराशायी कर दिया था। इसी इतिहास को देखते हुए रूस चिंतित है कि अगर यूक्रेन के पास यह हथियार आ गया तो रूस की कई महत्वपूर्ण सैन्य चौकियां खतरे में पड़ सकती हैं।
रूस की प्रतिक्रिया
क्रेमलिन ने अमेरिका के इस फैसले को सीधी उकसावे की कार्रवाई बताया है। रूस का कहना है कि इस कदम से न केवल युद्ध और लंबा खिंचेगा, बल्कि यूरोप की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगर टॉमहॉक मिसाइल यूक्रेन को दी गई, तो रूस जवाबी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
अमेरिका का तर्क
वॉशिंगटन का कहना है कि टॉमहॉक मिसाइल यूक्रेन की "रक्षात्मक क्षमता" बढ़ाने के लिए दी जा रही है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इससे यूक्रेन को रूस के गहराई तक बने सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, अमेरिका यह दावा करता है कि यह फैसला रूस को कमजोर करने के बजाय केवल यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
यूरोप की चिंता
यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों ने इस कदम पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। एक ओर नाटो देश इसे रूस के दबदबे को चुनौती देने का जरिया मान रहे हैं, तो दूसरी ओर जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने आशंका जताई है कि इससे युद्ध और भड़क सकता है।
भारत की स्थिति
भारत ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाते हुए कहा है कि सभी पक्षों को कूटनीतिक समाधान तलाशने की दिशा में काम करना चाहिए। भारत ने दोहराया कि युद्ध का कोई सैन्य समाधान नहीं है और बातचीत ही आगे का रास्ता है।
अमेरिका का टॉमहॉक मिसाइल यूक्रेन को देने का निर्णय रूस-यूक्रेन युद्ध को और जटिल बना सकता है। इराक में इसका प्रभाव देखने के बाद यह स्पष्ट है कि यह हथियार किसी भी युद्ध की दिशा बदलने की क्षमता रखता है। अब दुनिया की नजर इस पर है कि रूस इसका क्या जवाब देता है और यूरोप में हालात किस ओर करवट लेते हैं।