केंद्र सरकार ने प्रशासनिक पारदर्शिता और सेवा वितरण की दक्षता बढ़ाने के लिए देशभर में SIR (System of Integrated Registry) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा की है। इस डिजिटल सिस्टम का उद्देश्य सरकारी योजनाओं, लाभार्थियों और संपत्ति से जुड़ी जानकारी को एकीकृत प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराना है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में SIR प्रणाली को पांच राज्यों—उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार—में लागू किया जाएगा। इसके बाद 2026 तक इसे पूरे देश में विस्तार देने की योजना है। यह प्रणाली न केवल प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाएगी, बल्कि फर्जीवाड़े, डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाने में मदद करेगी।
क्या है SIR सिस्टम:
SIR यानी System of Integrated Registry एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस है, जिसके माध्यम से व्यक्ति, भूमि, व्यवसाय और सरकारी योजनाओं से संबंधित सभी रिकॉर्ड एक ही प्लेटफॉर्म पर दर्ज होंगे। इससे नागरिकों को विभिन्न सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, SIR के माध्यम से “वन नेशन, वन रिकॉर्ड” की परिकल्पना को साकार किया जाएगा। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति का जन्म प्रमाणपत्र, संपत्ति पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस, या राशन कार्ड—सभी डेटा एक ही रजिस्ट्रेशन आईडी से जुड़ा रहेगा। इससे पहचान सत्यापन आसान होगा और प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी।
सरकार का दावा है कि यह सिस्टम ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति साबित होगा। इसके तहत नागरिकों को ऑनलाइन सेवाओं, प्रमाणपत्रों और सब्सिडी योजनाओं का लाभ शीघ्र मिलेगा। साथ ही, राज्य सरकारों को डेटा एनालिटिक्स के जरिए विकास योजनाओं की बेहतर मॉनिटरिंग में मदद मिलेगी।
डिजिटल इंडिया मिशन के तहत इस परियोजना को नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की साझेदारी में विकसित किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक देश के सभी जिलों में यह प्रणाली पूरी तरह लागू हो जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि SIR प्रणाली का सफल कार्यान्वयन भारत को “पेपरलेस गवर्नेंस” की दिशा में एक बड़ा कदम आगे ले जाएगा और सरकारी सेवाओं को अधिक पारदर्शी, तेज़ और विश्वसनीय बनाएगा।