बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे पर लगभग सहमति बन चुकी है। सूत्रों के अनुसार, कुल 243 विधानसभा सीटों में से 235 सीटों पर बातचीत पूरी हो गई है, जबकि शेष 8 सीटों पर अब भी पेच फंसा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राजनीतिक समझदारी और गठबंधन प्रबंधन के दम पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बाजी मारते हुए नज़र आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, जदयू को 118 सीटें और भाजपा को 110 सीटों पर सहमति मिल चुकी है। वहीं, सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को 5 और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) को 2 सीटें दिए जाने पर बात लगभग तय हो चुकी है। बाकी 8 सीटों को लेकर दोनों प्रमुख दलों में रणनीतिक चर्चाएं जारी हैं, जिनमें मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और पूर्णिया जैसे इलाके शामिल हैं।
नीतीश कुमार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि बिहार की राजनीति में उनकी पकड़ अभी भी मजबूत है। सीटों के बंटवारे में जदयू ने न केवल अपना पुराना जनाधार बनाए रखा बल्कि भाजपा पर दबाव भी बनाए रखा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व इस बार किसी भी सूरत में गठबंधन को कमजोर नहीं करना चाहती, इसलिए उसने जदयू की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है और बहुत जल्द औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि “नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए एकजुट है और विपक्ष को तगड़ी चुनौती देने को तैयार है।”
विपक्षी महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) ने सीट बंटवारे पर एनडीए की देरी को “भीतरी असहमति” बताया है, लेकिन राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह केवल सीटों की रणनीतिक पुनर्संरचना है, जिससे दोनों दल अपने वोट बैंक को बेहतर ढंग से संतुलित कर सकें।
अगर अंतिम समझौता इस सप्ताह हो जाता है, तो एनडीए जल्द ही संयुक्त प्रचार अभियान की शुरुआत करेगा। इस बीच, नीतीश कुमार का राजनीतिक अनुभव एक बार फिर उनकी “किंगमेकर से किंग” वाली छवि को मजबूत कर रहा है।