मध्य पूर्व में लंबे तनाव और हिंसा के बाद आखिरकार इज़रायल और हमास के बीच सीजफायर (युद्धविराम) लागू हो गया है। रविवार देर रात दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम की औपचारिक घोषणा की, जिसके बाद गाजा में कई दिनों बाद सन्नाटा टूटा और सड़कों पर लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि शांति की यह बहाली अस्थायी है और इससे जुड़ी कई अनसुलझी राजनीतिक व मानवीय जटिलताएं अब भी बरकरार हैं।
सीजफायर समझौते की मध्यस्थता मिस्र, क़तर और संयुक्त राष्ट्र ने की है। समझौते के तहत दोनों पक्षों ने रॉकेट हमले और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई है। गाजा में अब राहत एजेंसियों को प्रवेश की अनुमति दी गई है ताकि घायलों को इलाज और विस्थापितों को सहायता पहुंचाई जा सके। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “यह कदम शांति की दिशा में पहला लेकिन नाजुक कदम है।”
गाजा में पिछले कई हफ्तों से जारी संघर्ष में हजारों लोग मारे गए और लाखों बेघर हुए। बमबारी के बाद शहर के अधिकांश इलाकों में बुनियादी ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। अस्पतालों में दवाओं की कमी और बिजली संकट ने मानवीय स्थिति को और बदतर बना दिया है। सीजफायर लागू होने के बाद लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन अब भी कई मोहल्लों में मलबा और ध्वस्त इमारतें जंग की भयावहता बयान कर रही हैं।
इज़रायल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि "हमने अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं और अब शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करेंगे, बशर्ते आतंकवादी गतिविधियां बंद रहें।” वहीं, हमास के राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हनिया ने दावा किया कि “यह सीजफायर गाजा की जनता की जीत है।” हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि दोनों पक्षों के बीच अविश्वास इतना गहरा है कि स्थायी शांति की संभावना फिलहाल कमजोर दिखती है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सीजफायर का स्वागत करते हुए कहा कि अब प्राथमिकता गाजा में मानवीय सहायता बहाल करने और दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान की दिशा में ठोस पहल करने की होनी चाहिए। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
हालांकि शांति बहाली के बावजूद सवाल यह है कि यह युद्धविराम कब तक कायम रहेगा? क्या दोनों पक्ष राजनीतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ पाएंगे या कुछ दिनों में हिंसा फिर से भड़क उठेगी? विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता, कब्जे वाले इलाकों की स्थिति और सुरक्षा गारंटी जैसे मुद्दों पर ठोस समझौता नहीं होता, तब तक यह शांति अस्थायी ही रहेगी।
फिलहाल गाजा की जनता राहत की सांस ले रही है, लेकिन उनके चेहरों पर अब भी डर और अनिश्चितता की झलक साफ देखी जा सकती है। इस युद्धविराम ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है — क्या मध्य पूर्व कभी स्थायी शांति का गवाह बन पाएगा?