आईपीएस अधिकारी पूरन सिंह आत्महत्या प्रकरण ने अब राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में तूफान मचा दिया है। रविवार को हरियाणा के रोहतक में हुई महापंचायत में सैकड़ों लोग, सामाजिक संगठन और पूर्व पुलिस अधिकारी एकजुट हुए। महापंचायत ने राज्य सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए स्पष्ट कहा कि यदि राज्य के DGP को पद से नहीं हटाया गया, तो आंदोलन को देशव्यापी स्तर पर विस्तार दिया जाएगा।
महापंचायत में पूरन सिंह के परिवार ने कहा कि उन्हें न्याय चाहिए, न कि केवल आश्वासन। उनके परिजनों का आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार मानसिक उत्पीड़न और बदले की भावना से किए गए तबादलों ने पूरन को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। इस घटना के बाद से राज्य पुलिस तंत्र पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
पंचायत में वक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का प्रतीक है। सर्वजातीय महासभा और कई किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाए। साथ ही यह भी तय किया गया कि अगर 48 घंटे के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो राजधानी दिल्ली में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह बनाने में विफल रही है। वहीं, गृह विभाग के सूत्रों का कहना है कि सरकार मामले की गंभीरता को समझते हुए तथ्यों की जांच करवा रही है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
महापंचायत में पूर्व डीजीपी स्तर के कुछ अधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कहा कि यदि पुलिस तंत्र के भीतर इस तरह की मानसिक प्रताड़ना की घटनाओं पर रोक नहीं लगी, तो यह प्रशासनिक अनुशासन के लिए गंभीर खतरा बन जाएगा।
पूरन सिंह की आत्महत्या ने राज्य के पुलिस विभाग में आत्ममंथन की स्थिति पैदा कर दी है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार 48 घंटे में DGP को हटाने का निर्णय लेगी या फिर यह मामला सड़कों पर उबाल लेकर नया आंदोलन खड़ा करेगा।