नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार घोषित किया गया, जो इस वर्ष वेनेज़ुएला की मानवाधिकार कार्यकर्ता मारिया कोरेया (María Correa) को मिला है। उन्होंने यह सम्मान लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपने वर्षों लंबे संघर्ष को समर्पित किया। पुरस्कार ग्रहण करते समय उन्होंने यह सम्मान “पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वेनेज़ुएला के साहसी नागरिकों” को समर्पित कर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।
मारिया कोरेया ने अपने भाषण में कहा, “मैं यह सम्मान उन लोगों को समर्पित करती हूं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की लौ को बुझने नहीं दिया। ट्रंप जैसे नेताओं ने वैश्विक राजनीति में जनमत को दिशा दी, जबकि वेनेज़ुएला के लोग दशकों से दमन और गरीबी के खिलाफ लड़ रहे हैं।” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी है—कुछ ने उनकी सराहना की, तो कुछ ने ट्रंप के नाम का उल्लेख विवादास्पद बताया।
मारिया कोरेया पिछले दो दशकों से वेनेज़ुएला में मानवाधिकार उल्लंघनों, राजनीतिक दमन और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। उन्होंने हजारों राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अभियान चलाया और सैकड़ों बेघर परिवारों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नोबेल कमेटी ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि “मारिया कोरेया ने लोकतंत्र और मानवीय मूल्यों के लिए संघर्ष का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो वैश्विक शांति के लिए प्रेरणा है।” समिति ने यह भी जोड़ा कि उन्होंने ‘भय और उत्पीड़न की राजनीति’ के खिलाफ अहिंसक आंदोलन को एक नई दिशा दी।
इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 343 उम्मीदवारों के नाम सामने आए थे, जिनमें कई राजनीतिक नेता, पर्यावरण कार्यकर्ता और मानवीय संगठन शामिल थे। अंततः समिति ने कोरेया के सतत और साहसिक संघर्ष को सर्वसम्मति से चुना।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, “शांति केवल युद्ध न होने का नाम नहीं, बल्कि न्याय, समानता और मानव गरिमा की रक्षा है। आज भी दुनिया के कई हिस्सों में लोग भय के साए में जी रहे हैं, और हमें उनके लिए बोलना होगा।”
मारिया कोरेया की यह जीत लैटिन अमेरिका में लोकतंत्र के लिए चल रही मुहिम को नई ऊर्जा देने वाली मानी जा रही है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह सम्मान न केवल वेनेज़ुएला बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है—“शांति के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता।”