बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने IRCTC घोटाले से जुड़े मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। अदालत ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी है।
यह मामला भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (IRCTC) के दो होटल टेंडरों के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोप है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब उन्होंने निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले बेनामी संपत्तियों के रूप में रिश्वत ली थी। इस घोटाले की जांच सीबीआई (CBI) और ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा की जा रही है।
अदालत ने कहा कि शुरुआती साक्ष्य यह दिखाते हैं कि आरोपियों पर लगाए गए आरोपों में पर्याप्त आधार मौजूद है, जिसके चलते मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ेगी। इससे पहले लालू यादव की ओर से मामले को खारिज करने की याचिका दायर की गई थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। अब मामले की अगली सुनवाई नवंबर में तय की गई है, जहां आरोप तय करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू होगी।
राजनीतिक हलकों में इस फैसले ने हलचल मचा दी है। बिहार में विधानसभा चुनाव के बीच लालू यादव और उनकी पार्टी आरजेडी के लिए यह फैसला बड़ा झटका माना जा रहा है। विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है, जबकि भाजपा और एनडीए गठबंधन इसे “भ्रष्टाचार पर कानून की जीत” करार दे रहे हैं।
लालू यादव पहले से ही चारा घोटाले के कई मामलों में सजा काट चुके हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं। IRCTC मामले में उनके खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया फिर से शुरू होने से उनके राजनीतिक भविष्य पर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय का चुनावी माहौल पर सीधा असर पड़ सकता है, खासकर आरजेडी के पारंपरिक वोट बैंक पर। बिहार की राजनीति में जहां एक ओर लालू परिवार जनाधार बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, वहीं यह केस उनके लिए नई कानूनी चुनौती बन गया है।