मध्य पूर्व में जारी तनाव के बीच एक बड़ा सकारात्मक संकेत सामने आया है। फिलिस्तीनी संगठन हमास ने सोमवार को 20 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया है। यह कदम हाल ही में हुए संघर्षविराम समझौते के बाद आया है, जिससे गाज़ा और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव में थोड़ी नरमी देखने को मिल रही है।
सूत्रों के अनुसार, रिहा किए गए बंधकों में महिलाएं और कुछ बुजुर्ग शामिल हैं, जिन्हें कतर और मिस्र की मध्यस्थता से आज़ाद कराया गया। दोनों देशों ने इस समझौते को अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका निभाई। रिहाई के बाद सभी बंधकों को मानवीय सहायता और चिकित्सा जांच के लिए इजरायल के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित एक विशेष शिविर में भेजा गया है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कदम का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि “हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक हर नागरिक सुरक्षित घर नहीं लौट आता।” नेतन्याहू ने यह भी संकेत दिया कि इजरायल सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए सीमाओं पर निगरानी और सशस्त्र गश्त को और कड़ा करेगा।
वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटनाक्रम को “मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में सकारात्मक शुरुआत” बताया। ट्रंप ने कहा, “अब समय है कि दोनों पक्ष हिंसा छोड़कर शांति, स्थिरता और आर्थिक तरक्की पर ध्यान दें।” उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह इस अवसर को खोने न दे और क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए सहयोग बढ़ाए।
रिहाई की इस कार्रवाई के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह मानवीय दृष्टि से बड़ा कदम है, लेकिन स्थायी शांति के लिए दोनों पक्षों को “विश्वास की नई शुरुआत” करनी होगी। संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रक्रिया की निगरानी और राहत कार्यों के लिए विशेष दल भेजने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि इजरायल-हमास संघर्ष में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और गाज़ा का बड़ा हिस्सा तबाह हो चुका है। हाल के दिनों में अमेरिका, मिस्र और कतर ने दोनों पक्षों के बीच सीजफायर वार्ता को आगे बढ़ाने के प्रयास तेज किए थे, जिनके नतीजे के रूप में यह बंधक रिहाई संभव हो सकी।
विश्लेषकों का मानना है कि यह रिहाई भविष्य की वार्ताओं के लिए एक “विश्वास बहाली” कदम साबित हो सकती है। हालांकि, इजरायल ने स्पष्ट किया है कि जब तक उसके सभी नागरिक वापस नहीं आते और हमास अपने हथियार नहीं डालता, तब तक संघर्षविराम को “अंतिम समाधान” नहीं माना जाएगा।
फिलहाल यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में चल रहे हिंसक दौर के बीच आशा की एक किरण के रूप में देखा जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में कूटनीतिक प्रयासों को नई गति मिल सकती है।