प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीवाली हमेशा खास रही है — न रोशनी के शोरगुल में, न शहरों की जगमगाहट में, बल्कि देश की सीमाओं पर तैनात उन वीर जवानों के बीच जो हर पल मातृभूमि की रक्षा में तत्पर हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ने एक परंपरा बना ली है कि हर साल वे देश के सैनिकों के साथ दिवाली मनाते हैं। इस वर्ष भी उन्होंने कारवार नौसैनिक अड्डे पर भारतीय नौसेना के वीरों के बीच दीपावली का उत्सव मनाया।
साल 2014 में जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने, तो मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सियाचिन ग्लेशियर पर जाकर जवानों के साथ दीवाली मनाई थी। उस समय उन्होंने कहा था, “मेरे लिए आप ही मेरा परिवार हैं।” इसके बाद यह परंपरा हर साल जारी रही — कभी राजस्थान के लोकेशन पर सीमा सुरक्षा बल के साथ, तो कभी हिमाचल और लद्दाख के बर्फीले मोर्चों पर।
2016 में पीएम मोदी ने हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में सेना के जवानों के संग दीप जलाया था, वहीं 2017 में वे गोरखा रेजीमेंट के साथ उत्तराखंड की सीमाओं पर पहुंचे। 2018 में उन्होंने उत्तराखंड के हर्षिल में और 2019 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में दीवाली मनाई। वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान भी वे राजस्थान के जैसलमेर में भारतीय सेना, वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पहुंचे थे।
2021 में लद्दाख के निम्मू, 2022 में केदारनाथ दर्शन के बाद उत्तराखंड में और 2023 में हिमाचल के सुमडोह में सैनिकों के संग दीप प्रज्वलित करते हुए पीएम मोदी ने संदेश दिया था कि “राष्ट्र की सुरक्षा ही सबसे बड़ा पर्व है।”
इस साल 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने कारवार नौसेना बेस पर भारतीय नौसेना के अधिकारियों और जवानों के साथ दीपावली मनाते हुए देश की समुद्री सुरक्षा में उनकी भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, “आप देश की सीमाओं के साथ-साथ हमारे समंदरों की भी रक्षा कर रहे हैं, यह गर्व की बात है।”
मोदी का यह कदम हर वर्ष सैनिकों के मनोबल को नई ऊर्जा देता है और नागरिकों को यह याद दिलाता है कि दीवाली केवल घरों में दीए जलाने का पर्व नहीं, बल्कि देश के रक्षकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर भी है।