दिल्ली-एनसीआर में इस बार दिवाली की खुशियों पर प्रदूषण का काला साया गहराता दिखा। पटाखों के अत्यधिक इस्तेमाल और मौसम में ठहराव के कारण राजधानी की हवा में जहर घुल गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, PM 2.5 का स्तर कई इलाकों में 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी (Severe Category) में आता है। यह पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक स्तर है, जिसने 2021 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।
ध्वनि प्रदूषण ने भी किया कानों का हाल बेहाल
केवल वायु प्रदूषण ही नहीं, साउंड पॉल्यूशन ने भी इस बार सभी सीमाएं तोड़ दीं। दिल्ली के पटेल नगर, लक्ष्मी नगर, करोल बाग और साउथ एक्सटेंशन जैसे व्यस्त इलाकों में ध्वनि सीमा 100 डेसीबल तक दर्ज की गई, जबकि रात में अनुमत सीमा केवल 55 डेसीबल है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्तर न केवल कानों को नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
हवा में घुला ज़हर, सांस लेना हुआ मुश्किल
दिवाली की रात के बाद सोमवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में AQI (Air Quality Index) औसतन 612 पर दर्ज हुआ। नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी हालात बेहद खराब रहे। कई जगह दृश्यता 300 मीटर तक घट गई। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति दम्य रोगियों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक है।
सरकार और विशेषज्ञों की अपील
दिल्ली सरकार ने इसे “स्वच्छ हवा अभियान” के लिए बड़ा झटका बताते हुए कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि नागरिक अब भी सुधार में भूमिका निभा सकते हैं — ग्रीन पटाखे, कार शेयरिंग, और वाहन उपयोग में संयम से प्रदूषण को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
त्योहार की रोशनी के बीच दिल्ली की हवा में फैला धुआं एक गंभीर चेतावनी है कि यदि सामूहिक जिम्मेदारी नहीं निभाई गई तो आने वाले सालों में सांस लेना और कठिन हो जाएगा। दिवाली की असली खुशी तभी है जब रोशनी के साथ स्वच्छ हवा भी बरकरार रहे।