यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने की कोशिशों को एक बार फिर झटका लगा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रस्तावित “शांति वार्ता” को रद्द कर दिया है। ट्रंप ने इस बैठक को “समय की बर्बादी” करार देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बातचीत का कोई ठोस परिणाम निकलना मुश्किल है। दूसरी ओर, क्रेमलिन ने भी स्पष्ट कर दिया कि वह यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम (सीजफायर) के पक्ष में नहीं है।
ट्रंप का बयान—“पुतिन अब किसी समाधान में रुचि नहीं रखते”
फ्लोरिडा में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच संभावित समझौते के लिए लगातार प्रयास किए, लेकिन अब स्थिति बेहद जटिल हो चुकी है। ट्रंप ने कहा, “मैंने उम्मीद की थी कि यह बैठक युद्ध के अंत की दिशा में एक कदम होगी, लेकिन पुतिन फिलहाल किसी भी शांति प्रस्ताव में रुचि नहीं दिखा रहे। इस समय उनसे मिलना बेकार होगा।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर वे फिर से व्हाइट हाउस लौटते हैं, तो इस संघर्ष को “24 घंटे में खत्म करने” की दिशा में ठोस कूटनीतिक कदम उठाएंगे। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की यह रणनीति आगामी अमेरिकी चुनावों में राष्ट्रवादी मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश हो सकती है।
रूस का दो टूक जवाब—“हम युद्ध नहीं, अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं”
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस किसी “राजनीतिक दिखावे” के लिए वार्ता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मॉस्को केवल तभी बातचीत करेगा जब यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी महत्वाकांक्षा छोड़ देगा और “डोनबास और क्रीमिया की स्थिति” पर रूस की शर्तें मानी जाएंगी। रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने भी कहा कि “तत्काल सीजफायर” केवल यूक्रेन को दोबारा ताकत जुटाने का मौका देगा, इसलिए फिलहाल युद्धविराम का सवाल ही नहीं उठता।
यूक्रेन का रुख और पश्चिमी देशों की चिंता
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस केवल समय खरीदने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय संघ से आग्रह किया कि वे सैन्य सहायता और प्रतिबंधों में ढिलाई न दें। वहीं, यूरोपीय नेताओं ने चेताया है कि अगर यह युद्ध 2026 तक खिंचता है, तो वैश्विक तेल कीमतों और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर असर पड़ेगा।
ट्रंप का पुतिन से मुलाकात टालना और रूस का सीजफायर से इनकार यह स्पष्ट करता है कि यूक्रेन युद्ध का अंत अभी दूर है। जहां एक ओर वैश्विक महाशक्तियां कूटनीतिक मंचों पर “शांति” की बात कर रही हैं, वहीं जमीन पर संघर्ष और गहराता जा रहा है। यह स्थिति न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया की राजनैतिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है।