बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रविवार को जनता ने लोकतंत्र का उत्सव मनाते हुए रिकॉर्ड तोड़ मतदान किया। राज्य में कुल 64.66 प्रतिशत वोटिंग दर्ज हुई, जो अब तक के इतिहास में सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इस अद्वितीय भागीदारी ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है। जहां महागठबंधन इसे ‘जनता का विश्वास’ करार दे रहा है, वहीं NDA के खेमे में चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं।
पहले चरण के तहत 18 जिलों की 121 सीटों पर वोट डाले गए। बेगूसराय जिले में सर्वाधिक 67.32 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ, जबकि शेखपुरा में यह आंकड़ा 52.36 प्रतिशत तक सिमटा रहा। बढ़ते वोटिंग प्रतिशत ने साफ संकेत दिया है कि इस बार जनता न सिर्फ बदलाव चाहती है, बल्कि अपने मताधिकार का प्रयोग पहले से कहीं अधिक जोश के साथ कर रही है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने इस उत्साही मतदान को जनता के मूड का संकेत बताया है। उनका कहना है कि यह “परिवर्तन की लहर” की ओर इशारा कर रहा है। वहीं, NDA के भीतर यह डर बना हुआ है कि यह उच्च मतदान कहीं पारंपरिक वोट बैंक के खिसकने का संकेत तो नहीं।
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ। प्रशासन ने सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे। खास बात यह रही कि 100 प्रतिशत बूथों पर लाइव वेबकैस्टिंग की व्यवस्था की गई, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रही। मतदाताओं का विश्वास बढ़ा और चुनावी मशीनरी की तैयारी की सराहना हुई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बिहार की जनता का मूड कुछ अलग है। युवाओं और पहली बार वोट देने वालों की सक्रियता ने चुनावी समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है। यह बढ़ती भागीदारी आने वाले चरणों में भी असर डाल सकती है।
अब निगाहें 11 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान पर टिकी हैं, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। अगर यह जोश बरकरार रहा, तो बिहार की राजनीति में इस बार बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।
पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की जनता अब ‘चुप’ नहीं, बल्कि ‘चुनावी क्रांति’ के मूड में है। जहां महागठबंधन इसे परिवर्तन की दस्तक बता रहा है, वहीं NDA के लिए यह बढ़ती भागीदारी चिंता का सबब बन चुकी है। जैसे-जैसे चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता की यह जागरूकता किसके पक्ष में इतिहास लिखती है।