वैश्विक तनाव के बढ़ते माहौल के बीच रूस और अमेरिका के बीच परमाणु प्रतिस्पर्धा एक बार फिर तेज़ होती दिख रही है। अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा संभावित नए परमाणु परीक्षणों की घोषणा के बाद, रूस ने भी उसी दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने शीर्ष रक्षा और परमाणु अधिकारियों को आदेश दिया है कि यदि अमेरिका परीक्षण करता है, तो रूस भी तत्काल उसका जवाब देने के लिए तैयार रहे।
क्रेमलिन द्वारा जारी बयान के अनुसार, पुतिन ने कहा कि “रूस किसी भी तरह की परमाणु आक्रामकता या दबाव का सामना करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस किसी पर पहले हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि अमेरिका अपने परीक्षणों को आगे बढ़ाता है, तो “मॉस्को चुप नहीं बैठेगा।” यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच यूक्रेन युद्ध, नाटो विस्तार और रक्षा समझौतों को लेकर पहले से ही गहरी तनातनी चल रही है।
रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने बताया कि देश की परमाणु परीक्षण स्थलों पर “तकनीकी तैयारियां” लगभग पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु निरोधक क्षमता बनाए रखना रूस की सुरक्षा नीति का अहम हिस्सा है, और यदि पश्चिमी देश हथियारों की होड़ को बढ़ावा देते हैं, तो रूस भी उसी स्तर पर प्रतिक्रिया देगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम विश्व में हथियार नियंत्रण समझौतों के भविष्य पर गंभीर असर डाल सकता है। 1996 में हस्ताक्षरित Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty (CTBT) के बाद से अमेरिका और रूस ने औपचारिक रूप से परमाणु परीक्षण नहीं किए हैं, हालांकि दोनों देशों ने अपने शस्त्रागार के आधुनिकीकरण के लिए “सिमुलेशन” और प्रयोगशाला स्तर के परीक्षण जारी रखे हैं।
अमेरिका द्वारा हाल ही में नेवादा परीक्षण केंद्र पर नई गतिविधियों की रिपोर्ट के बाद रूस की प्रतिक्रिया को ‘रणनीतिक चेतावनी’ के रूप में देखा जा रहा है। पुतिन के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है कि कहीं यह दुनिया को फिर से ‘न्यूक्लियर आर्म्स रेस’ की ओर न धकेल दे।
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के दायित्वों का सम्मान करने की अपील की है। वहीं, यूरोपीय संघ ने कहा है कि यदि रूस परमाणु परीक्षण करता है, तो इसका परिणाम वैश्विक सुरक्षा के लिए “विनाशकारी” होगा।
रूसी संसद के वरिष्ठ सदस्यों ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि “जब अमेरिका अपनी सीमाओं को पार कर रहा है, तब रूस को भी जवाब देने का अधिकार है।” हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह पुतिन की “राजनयिक रणनीति” का हिस्सा है, ताकि पश्चिम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके।
बहरहाल, रूस के इस संकेत ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। अब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अमेरिका वास्तव में नया परमाणु परीक्षण करेगा—और यदि हां, तो रूस की प्रतिक्रिया कितनी दूर तक जाएगी।