अफ्रीकी देश सूडान आज दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकटों में से एक का सामना कर रहा है। राजधानी खार्तूम से लेकर दारफुर और कॉर्डोफान तक भुखमरी, हिंसा और विस्थापन ने जनजीवन को तबाह कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की हालिया रिपोर्टों के अनुसार, लाखों लोग भूख के कारण खाल, सूखी घास और पेड़ों की छाल तक खाने को मजबूर हैं। दो साल पहले तक जो देश आर्थिक पुनर्निर्माण की दिशा में बढ़ रहा था, वह अब गृहयुद्ध, अकाल और मानवीय तबाही के दलदल में फंस चुका है।
गृहयुद्ध ने तोड़ी अर्थव्यवस्था की रीढ़
अप्रैल 2023 में शुरू हुए सूडानी सेना और अर्धसैनिक बल RSF (रैपिड सपोर्ट फोर्स) के बीच संघर्ष ने पूरे देश को झुलसा दिया है। इस युद्ध ने न केवल राजधानी खार्तूम को मलबे में बदल दिया, बल्कि देश के 70% औद्योगिक और कृषि उत्पादन को भी नष्ट कर दिया। सड़कों पर गोलीबारी और लूटपाट आम हो गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में खेती पूरी तरह ठप है। इसके चलते अनाज, पानी और दवाओं की भारी किल्लत पैदा हो गई है।
भुखमरी का भयावह रूप
WFP के अनुसार, सूडान की 45 मिलियन की आबादी में से करीब 25 मिलियन लोग भुखमरी के कगार पर हैं। कई इलाकों में लोग मवेशियों की खाल उबालकर खा रहे हैं, जबकि बच्चे सूखी घास और पेड़ों की छाल खाकर जिंदा हैं। स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े हैं और दवाइयों की भारी कमी है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले महीनों में सूडान “दुनिया का सबसे बड़ा अकाल क्षेत्र” बन सकता है।
महिलाओं और बच्चों पर सबसे बड़ा असर
मानवीय एजेंसियों के अनुसार, सूडान में अब तक 50 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें 60% महिलाएं और बच्चे हैं। कई शरणार्थी पड़ोसी देशों चाड, मिस्र और दक्षिण सूडान की सीमाओं पर अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं, जहाँ भोजन और पानी की भारी कमी है। हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और माताओं को अपने बच्चों को जिंदा रखने के लिए असंभव हालात का सामना करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने सूडान की स्थिति को “मानवता की विफलता” बताया है और वैश्विक समुदाय से तत्काल राहत सहायता की अपील की है। हालांकि सुरक्षा कारणों से राहत सामग्री पहुँचाने में बड़ी बाधाएँ हैं।
दो साल में उजड़ा पूरा देश
साल 2023 से 2025 के बीच सूडान पूरी तरह बिखर चुका है। आर्थिक प्रणाली ध्वस्त है, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ बंद हैं, और लाखों नागरिक भुखमरी से जूझ रहे हैं। कभी अफ्रीका के विकासशील राष्ट्रों में गिना जाने वाला सूडान अब जीवित रहने की जंग लड़ रहा है।