रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर भयानक मोड़ पर पहुंच गया है। रविवार रात रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया, जिसमें 270 बैलिस्टिक मिसाइलें और करीब 5000 ड्रोन दागे गए। इस हमले से राजधानी कीव सहित कई बड़े शहरों में बिजली व्यवस्था ठप पड़ गई और पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया। यह हमला युद्ध के लगभग तीन साल पूरे होने के मौके पर हुआ, जिसे विशेषज्ञ "निर्णायक चरण" बता रहे हैं।
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रूसी सेना ने एक साथ मिसाइल और ड्रोन हमलों की बौछार की, जिनका निशाना ऊर्जा संयंत्र, सैन्य ठिकाने और संचार केंद्र थे। राजधानी कीव, खार्किव, ल्वीव, और ओडेसा में जबरदस्त विस्फोटों की आवाजें गूंजीं। रातभर सायरन बजते रहे और लोग मेट्रो स्टेशनों और भूमिगत आश्रयों में शरण लेते नजर आए।
यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली ने कई मिसाइलों को रास्ते में ही मार गिराया, लेकिन हमले की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि कई क्षेत्र पूरी तरह तबाह हो गए। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने हमले को "युद्ध अपराध" बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल मदद की अपील की है। उन्होंने कहा, “रूस अब हमारे ऊर्जा ढांचे को खत्म कर सर्दी के मौसम में लोगों को अंधेरे और ठंड में धकेलना चाहता है। यह मानवीय संकट की शुरुआत है।”
रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि यह हमला "रणनीतिक सैन्य ठिकानों" को निशाना बनाने के लिए किया गया था। मॉस्को के अनुसार, यूक्रेन की सीमाओं के पास पश्चिमी देशों से मिले हथियारों के भंडार और ड्रोन नियंत्रण केंद्र नष्ट कर दिए गए हैं। हालांकि, स्वतंत्र एजेंसियों ने इन दावों की पुष्टि नहीं की है।
हमले के बाद कीव की बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। कई अस्पतालों और घरों में बैकअप जनरेटर के सहारे काम चल रहा है। आपात सेवाओं के लिए सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात हैं। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने इस हमले की निंदा करते हुए रूस से संयम बरतने की अपील की है।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला संकेत देता है कि रूस अब युद्ध को निर्णायक दिशा देने की कोशिश कर रहा है। वहीं, यूक्रेन को अमेरिकी और नाटो देशों से अतिरिक्त रक्षा सहायता की उम्मीद है। पश्चिमी खेमे के राजनयिकों का कहना है कि अगर यह हमले जारी रहे तो यूरोप में ऊर्जा संकट और शरणार्थी समस्या फिर बढ़ सकती है।
यूक्रेन के लिए यह हमला केवल सैन्य नहीं बल्कि मानवीय संकट का भी संकेत है। लाखों लोग ठंड और अंधेरे में हैं, जबकि सेना सीमाओं पर डटी हुई है। यह स्पष्ट है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां एक बड़ी रणनीतिक गलती पूरे यूरोप की शांति को खतरे में डाल सकती है।