राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक सीमा पार कर गया है। रविवार रात से सोमवार सुबह तक हवा की गुणवत्ता इतनी बिगड़ी कि कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया। सफर (SAFAR-India) के आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार, वजीरपुर, नरेला, पंजाबी बाग, और रोहिणी जैसे इलाकों में AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
दिल्ली में मौसम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा सामान्य से 8 से 10 गुना अधिक पाई गई। सुबह के समय हल्का कोहरा और धुंध के कारण दृश्यता भी प्रभावित रही। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने की घटनाएं, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण कार्य और औद्योगिक धुआं मिलकर प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक ले जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण को लागू कर दिया है। इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, डीजल वाहनों की जांच, और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देने जैसे निर्देश जारी किए गए हैं। स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खेल-कूद की बाहरी गतिविधियां सीमित की जा रही हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार सुबह 9 बजे दिल्ली का औसत AQI 412 रहा, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। यह सीजन का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर माना जा रहा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो दिनों तक हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी रहेगी, जिससे पराली जलाने का धुआं दिल्ली-एनसीआर में और बढ़ सकता है।
डॉक्टरों ने नागरिकों को चेतावनी दी है कि इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों, आंखों और त्वचा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अस्थमा, एलर्जी और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को घर से कम निकलने और एन-95 मास्क पहनने की सलाह दी गई है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि जब तक दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में प्रदूषण स्रोतों पर समन्वित तरीके से सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक राजधानी की हवा सांस लेने लायक नहीं बनेगी।