उत्तर प्रदेश के एक मदरसे से ₹20 लाख के नकली नोट बरामद होने के बाद सियासत गरमा गई है। पुलिस ने मौके से दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है और जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की तहकीकात में जुट गई हैं। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यह नोट पाकिस्तान और बांग्लादेश के नकली करेंसी गिरोह से जुड़े हो सकते हैं, जो सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हैं।
घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक विधायक ने इसे “भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश” बताया। विधायक ने कहा कि यह मामला सिर्फ नकली नोटों का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से इस तरह की गतिविधियों पर ‘ज़ीरो टॉलरेंस नीति’ अपनाने की मांग की।
वहीं राज्य के एक कैबिनेट मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जानी चाहिए। मंत्री ने बताया कि गृह विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह सीमावर्ती जिलों में स्थित मदरसों, प्राइवेट स्कूलों और कोचिंग संस्थानों की वित्तीय गतिविधियों की गहन जांच करे। उन्होंने कहा, “धर्म या संस्था के नाम पर कोई भी तत्व राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में लिप्त पाया गया, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
सूत्रों के अनुसार, बरामद नकली नोटों की गुणवत्ता इतनी उच्च स्तर की है कि पहली नजर में असली और नकली में फर्क करना मुश्किल था। जांच एजेंसियों को संदेह है कि इन नोटों को देश में फैलाने के लिए हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा था। फिलहाल पुलिस ने नोटों को जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल पूछा है कि यदि ऐसी गतिविधियाँ शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच रही हैं, तो यह सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चूक है। हालांकि, बीजेपी नेताओं का कहना है कि सरकार ऐसे मामलों में सख्त कदम उठा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
यह मामला अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के संज्ञान में आ चुका है और केंद्र सरकार ने रिपोर्ट तलब की है। विशेषज्ञों का कहना है कि नकली मुद्रा न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती है बल्कि समाज में अस्थिरता और भय का माहौल भी पैदा करती है।