दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण एक बार फिर भयावह स्तर पर पहुंच गया है और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि बड़ी संख्या में लोग शहर से बाहर जाने के बारे में गंभीरता से सोचने लगे हैं। ताजा सर्वेक्षणों में सामने आया है कि राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 31 फीसदी लोग प्रदूषण से त्रस्त होकर अस्थायी या स्थायी रूप से शहर छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जहरीली हवा से होने वाली स्वास्थ्य परेशानियों के अलावा बढ़ते खर्च ने भी आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर की एयर क्वालिटी ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच गई है। कई इलाकों में AQI 450 के पार रिकॉर्ड किया जा रहा है, जिससे सांस लेना भी तकलीफदेह हो गया है। अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों, एलर्जी, अस्थमा और आंखों में जलन की शिकायतों के साथ मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण का यह स्तर फेफड़ों, दिल और दिमाग पर दीर्घकालिक असर छोड़ सकता है, इसलिए संवेदनशील समूहों के लिए स्थिति बेहद चिंताजनक है।
दिल्ली और इसके आसपास कमरे के अंदर भी साफ हवा नहीं मिल पा रही, जिससे लोग एयर प्यूरीफायर, मास्क और दवाइयों पर निर्भर हैं। इसके चलते घर-घर का खर्च तेजी से बढ़ गया है—एयर प्यूरीफायर से लेकर मास्क, फिल्टर और मेडिकल परामर्श तक का बोझ परिवारों पर भारी पड़ रहा है। बढ़ती बिजली खपत ने बिल भी बढ़ा दिए हैं, क्योंकि लोग प्यूरीफायर को लगातार चलाने को मजबूर हैं। बाजार में हाई ग्रेड मास्क और एयर क्लीनिंग उपकरणों की मांग अचानक उछल गई है।
उधर, प्रदूषण से राहत के लिए लागू की गई पाबंदियों का प्रभाव सीमित दिखाई दे रहा है। निर्माण कार्यों पर नियंत्रण, एंटी-स्मॉग गन और ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन हवा की गुणवत्ता में खास सुधार नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय कारकों के साथ-साथ मौसम भी प्रदूषण को जमीन के पास रोक रहा है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
इन सबके बीच, दिल्ली-एनसीआर का आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। लगातार बिगड़ती हवा, बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम और महंगे उपचार ने लोगों का भरोसा हिला दिया है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग साफ हवा की तलाश में शहर छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। प्रदूषण का यह प्रेत राजधानी के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है—और तत्काल, ठोस समाधानों की मांग अब और तेज हो गई है।