इंडोनेशिया इस समय लगातार प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में है। पिछले एक महीने के भीतर देश में 1,400 से अधिक भूकंप दर्ज किए गए हैं, जिसने लाखों लोगों को भय और अनिश्चितता की स्थिति में ला खड़ा किया है। प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में स्थित होने के कारण इंडोनेशिया भूकंपीय गतिविधियों का केंद्र माना जाता है, लेकिन इस बार झटकों की रफ्तार और तीव्रता ने प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
इंडोनेशियाई मौसम, जलवायु और भूभौतिकी एजेंसी (BMKG) के अनुसार, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के चौथे सप्ताह तक देश के कई हिस्सों में लगातार कंपन महसूस किए गए। इनमें से कई झटके 5.0 से ऊपर की तीव्रता वाले थे, जबकि कुछ झटकों ने तटीय इलाकों में सुनामी की हल्की आशंका भी पैदा कर दी। हालांकि किसी बड़े सुनामी की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन छोटे स्तर पर समुद्र में असामान्य तरंगों का उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया।
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में सुलावेसी, सुमात्रा, जावा और बाली शामिल हैं। इन इलाकों में कई बार धरती इतनी तीव्रता से हिली कि लोग रात में घर छोड़कर सड़कों पर निकल आए। स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, जबकि कई सरकारी कार्यालयों में भी एहतियात के तौर पर गतिविधियाँ कम कर दी गई हैं। स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में रेस्क्यू टीमों को तैनात कर दिया है, ताकि किसी भी आपातकाल की स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।
BMKG विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ रही भूमिगत गतिविधि ज्वालामुखीय हलचल से भी जुड़ी हो सकती है। इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं और इनमें से कई पिछले कुछ महीनों में ज्यादा सक्रिय देखे गए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों में बढ़ती गति ऐसे भूकंपीय दबाव का कारण है, जो छोटे-छोटे झटकों के रूप में लगातार बाहर निकल रहा है।
इन भूकंपों ने देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है। कई क्षेत्रों में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, पुलों में दरार आई है और पुरानी इमारतों को खाली करवाया गया है। पर्यटन उद्योग, जो इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है, भी प्रभावित हुआ है। बाली और लोंबोक जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर विदेशी पर्यटकों की आवाजाही में गिरावट दर्ज की गई है। होटल और रिसॉर्ट्स में बुकिंग रद्द होने लगी हैं।
आपदा प्रबंधन एजेंसी ने लोगों से सर्तक रहने, अफवाहों पर ध्यान न देने और आधिकारिक अलर्ट सिस्टम पर भरोसा करने की अपील की है। सरकार ने राहत कोष बढ़ाने, अस्थायी आश्रय बनाने और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने की घोषणा की है।
इंडोनेशिया के सामने चुनौती आने वाले दिनों में और मुश्किल हो सकती है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि भूमिगत दबाव अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में अगला एक महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।