राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण की गिरफ्त में है। मंगलवार को शहर के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 तक पहुंच गया, जो मापन प्रणाली की अधिकतम सीमा मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे ऊपर के आंकड़े दर्ज ही नहीं किए जाते, यानी वास्तविक स्थिति इससे भी अधिक गंभीर हो सकती है। घने स्मॉग और प्रतिकूल मौसम के कारण दृश्यता बेहद कम हो गई, जिसका सीधा असर हवाई, सड़क और रेल यातायात पर पड़ा।
दिल्ली एयरपोर्ट से आने-जाने वाली कुल 228 उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जबकि दर्जनों उड़ानों में भारी देरी हुई। एयरलाइंस ने यात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था और रिफंड की सलाह दी है। इंडिगो, एयर इंडिया और विस्तारा समेत प्रमुख एयरलाइनों ने बयान जारी कर कहा कि खराब दृश्यता और सुरक्षा मानकों के चलते यह कदम उठाना पड़ा। यात्रियों को लंबी कतारों, बार-बार शेड्यूल बदलने और असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ा।
स्मॉग का असर सिर्फ परिवहन तक सीमित नहीं रहा। खराब मौसम और दृश्यता के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी के बीच प्रस्तावित मुलाकात भी नहीं हो सकी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा और लॉजिस्टिक कारणों से कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ा। यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और सांस व हृदय रोगियों के लिए हालात अत्यंत जोखिमपूर्ण बताए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि AQI 500 के स्तर पर लंबे समय तक रहने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, सिरदर्द, थकान और गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की नौबत आ सकती है। लोगों को घर से बाहर निकलने से बचने, एन95 मास्क पहनने और इनडोर गतिविधियों तक सीमित रहने की सलाह दी गई है।
मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में हवा की रफ्तार बेहद कम है और नमी अधिक बनी हुई है, जिससे प्रदूषक कण वातावरण में फंसे हुए हैं। अगले 48 घंटों में हवाओं की गति बढ़ने या हल्की बारिश की संभावना से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई गई है, हालांकि तत्काल सुधार के संकेत कमजोर हैं।
सरकार ने ग्रैप (GRAP) के तहत सख्त प्रतिबंध लागू कर दिए हैं, जिनमें निर्माण गतिविधियों पर रोक, डीजल वाहनों पर पाबंदी और स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं शामिल हैं। इसके बावजूद सवाल यही है कि क्या ये उपाय स्थायी समाधान हैं या हर सर्दी दिल्ली को यूं ही गैस चैम्बर बनते देखना पड़ेगा।