दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल तेज कर दी है। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है, जब देश में 2025 के अहम विधानसभा और आगामी आम चुनावों को लेकर सभी दल अपनी रणनीतियों को नए सिरे से गढ़ने में जुटे हैं। हालांकि इस मुलाकात को औपचारिक रूप से निजी बताया गया, लेकिन इसके निहितार्थ दूरगामी माने जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में हुई यह बैठक करीब एक घंटे चली, जिसमें चुनावी रणनीति, संगठनात्मक मजबूती और जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि बातचीत का फोकस उत्तर भारत के उन राज्यों पर रहा, जहां कांग्रेस को हाल के वर्षों में लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से युवा मतदाताओं, शहरी मध्यम वर्ग और पिछड़े क्षेत्रों में पार्टी की पहुंच बढ़ाने के तरीकों पर मंथन हुआ।
प्रशांत किशोर पहले भी कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के लिए सफल चुनावी रणनीति तैयार कर चुके हैं। 2022 में कांग्रेस के साथ उनके औपचारिक जुड़ाव की चर्चा जरूर चली थी, लेकिन तब बात आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे में राहुल गांधी के साथ उनकी मौजूदा मुलाकात को नई संभावनाओं के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस एक बार फिर पेशेवर चुनावी रणनीति की ओर कदम बढ़ा सकती है।
राहुल गांधी हाल के महीनों में संगठन को मजबूत करने और जमीनी मुद्दों को सामने लाने पर जोर देते नजर आए हैं। भारत जोड़ो यात्रा और उसके बाद विभिन्न राज्यों में सक्रियता ने पार्टी कैडर में नई ऊर्जा भरी है। प्रशांत किशोर के साथ बैठक को इसी सिलसिले की कड़ी माना जा रहा है, जिसमें डेटा आधारित रणनीति और बूथ स्तर के प्रबंधन पर चर्चा संभव है।
हालांकि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। वहीं प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ विचार-विमर्श था, न कि किसी औपचारिक समझौते की शुरुआत। इसके बावजूद राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं कि आने वाले समय में दोनों के बीच सहयोग का कोई नया मॉडल सामने आ सकता है।
कुल मिलाकर, दिल्ली में हुई यह मुलाकात कांग्रेस की भविष्य की चुनावी दिशा को लेकर कई सवाल खड़े करती है। क्या पार्टी एक बार फिर पेशेवर रणनीतिकारों पर भरोसा करेगी, या यह सिर्फ वैचारिक संवाद तक सीमित रहेगा—इसका जवाब आने वाले राजनीतिक घटनाक्रमों में साफ हो जाएगा।