वर्ष 2026 का आम बजट देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को केंद्र में रखकर तैयार किया जा रहा है। 31 दिसंबर 2025 को बजट की तैयारियों को लेकर संकेत मिले हैं कि इस बार सरकार मध्यम वर्ग, नौकरीपेशा, किसानों और छोटे कारोबारियों को राहत देने की रणनीति पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों और नीति विशेषज्ञों के साथ व्यापक मंथन कर बजट की प्राथमिक दिशाएं तय की हैं।
सूत्रों के अनुसार, बजट 2026 का मूल उद्देश्य महंगाई से राहत, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को गति देना है। आयकर ढांचे में बदलाव कर मध्यम वर्ग को अतिरिक्त राहत देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। टैक्स स्लैब में संशोधन, स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने और बचत योजनाओं को अधिक आकर्षक बनाने जैसे कदम आम करदाताओं के लिए “खास तोहफा” साबित हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठकों में यह स्पष्ट किया गया कि विकास का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। इसी सोच के तहत कृषि क्षेत्र के लिए निवेश बढ़ाने, किसानों की आय में स्थिरता लाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। एमएसएमई सेक्टर को सस्ती वित्तीय सहायता, स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन और स्वरोजगार के नए अवसर सृजित करने की योजनाएं भी बजट का अहम हिस्सा हो सकती हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और पूंजीगत खर्च पर भी सरकार का फोकस बरकरार रहने की संभावना है। सड़क, रेल, शहरी आवास, डिजिटल कनेक्टिविटी और हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया जा सकता है। इससे न केवल विकास को गति मिलेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि पूंजीगत निवेश से अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती मिलेगी।
सामाजिक क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर भी बजट 2026 में अहम घोषणाएं हो सकती हैं। सरकारी अस्पतालों के ढांचे को मजबूत करने, डिजिटल हेल्थ सेवाओं का विस्तार और शिक्षा में तकनीक आधारित नवाचार को बढ़ावा देने की योजना पर काम चल रहा है। महिलाओं, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लक्षित योजनाओं को और प्रभावी बनाने पर भी विचार किया गया है।
कुल मिलाकर, बजट 2026 को “जन-केंद्रित बजट” बनाने की कोशिश साफ नजर आ रही है। प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्रियों के बीच हुए विचार-विमर्श से संकेत मिलता है कि सरकार आर्थिक स्थिरता के साथ-साथ आम लोगों की जेब पर बोझ कम करने की दिशा में ठोस कदम उठा सकती है। अब देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बजट में ये रणनीतियां किस रूप में सामने आती हैं और जनता को कितना वास्तविक लाभ मिलता है।