पिछले एक दशक में भारत ने आर्थिक मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रगति की है। 2015 में $2.1 ट्रिलियन की जीडीपी से बढ़कर 2025 में यह $4.3 ट्रिलियन तक पहुँच गई है, जो 105% की वृद्धि को दर्शाता है। इस उपलब्धि ने भारत को विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है, और यह जापान ($4.4 ट्रिलियन) को पीछे छोड़ने की कगार पर है।
📈 आर्थिक प्रगति के प्रमुख संकेतक
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वैश्विक तुलना: भारत की 105% की वृद्धि दर ने अमेरिका (66%), चीन (76%), जर्मनी (44%), फ्रांस (38%) और ब्रिटेन (28%) जैसे विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।
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भविष्य की संभावनाएँ: यदि वर्तमान गति बनी रहती है, तो भारत 2025 की तीसरी तिमाही तक जापान को और 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़ सकता है, जिससे यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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वर्तमान वृद्धि दर: 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान है, जो पिछले तिमाही के 6.2% से अधिक है। यह मुख्यतः ग्रामीण खपत में सुधार और मुद्रास्फीति में कमी के कारण संभव हुआ है।
⚠️ सामने आने वाली चुनौतियाँ
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निवेश में मंदी: हालांकि सरकारी खर्च में वृद्धि हुई है, लेकिन निजी निवेश में अपेक्षित तेजी नहीं आई है, जिससे दीर्घकालिक विकास पर प्रभाव पड़ सकता है।
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वैश्विक अनिश्चितताएँ: अमेरिका की व्यापार नीतियों में अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव भारत के निर्यात और विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकते हैं।
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माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में तनाव: FY25 की मार्च तिमाही में माइक्रोफाइनेंस संस्थानों को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ा है, जिससे उनके लाभ में गिरावट आई है।
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जलवायु परिवर्तन: स्टील उत्पादन में विस्तार और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव भारत की पर्यावरणीय लक्ष्यों को चुनौती दे सकते हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन आगे की राह में कई चुनौतियाँ हैं। निजी निवेश को प्रोत्साहित करना, वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटना, और पर्यावरणीय लक्ष्यों को संतुलित करना आवश्यक होगा। यदि इन पहलुओं पर ध्यान दिया जाए, तो भारत न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी एक सशक्त राष्ट्र बन सकता है।