कीव/मॉस्को, 2 जून 2025: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय बाद हुई सीधी बैठक महज एक घंटे में समाप्त हो गई, लेकिन यह छोटी-सी बातचीत बड़ी मानवीय पहल के लिए रास्ता खोल गई है। दोनों देशों ने लगभग 6000 मृत सैनिकों के शवों के आपसी आदान-प्रदान पर सहमति जताई है। यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और दोनों ओर से हजारों जानें जा चुकी हैं।
मानवीय आधार पर लिया गया निर्णय
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक तुर्की की राजधानी अंकारा में एक गोपनीय स्थल पर आयोजित की गई थी, जिसमें रूस और यूक्रेन के सैन्य एवं राजनयिक प्रतिनिधि शामिल हुए। यह बातचीत मानवीय मुद्दों पर केंद्रित थी, जिसमें सबसे अहम विषय युद्ध में मारे गए सैनिकों के शवों को उनके देश वापस भेजने का था।
दोनों पक्षों ने यह समझा कि मृत सैनिकों का सम्मान बनाए रखना और उनके परिजनों को closure (समाप्ति की भावना) देना जरूरी है। यही वजह रही कि तमाम मतभेदों के बावजूद इस एक बिंदु पर सहमति बनी।
अदला-बदली की प्रक्रिया और निगरानी
रिपोर्ट के मुताबिक, यह शवों की अदला-बदली अगले कुछ हफ्तों में सीमावर्ती सुरक्षित स्थलों पर की जाएगी। इस प्रक्रिया की निगरानी रेड क्रॉस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय संस्थाएं करेंगी, ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।
यूक्रेन ने इस पहल को "सैन्य सम्मान और मानवीय संवेदनशीलता" का प्रतीक बताया, जबकि रूस ने इसे "विश्वास बहाली की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम" करार दिया।
कूटनीतिक संवाद की संभावनाएं?
हालांकि यह बैठक किसी व्यापक युद्धविराम या शांति वार्ता से संबंधित नहीं थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि मानवीय पहल के ऐसे छोटे समझौते भविष्य में वार्ता के द्वार खोल सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने इसे सकारात्मक कदम बताते हुए दोनों देशों से आगे भी इसी भावना में संवाद बनाए रखने की अपील की है।
पीड़ित परिवारों को राहत
युद्ध में अपनों को खो चुके हजारों परिवारों के लिए यह फैसला उम्मीद की किरण लेकर आया है। उन्हें वर्षों से अपनों के अंतिम संस्कार का इंतज़ार था। अब शवों की वापसी के बाद वे धार्मिक और पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार अंतिम संस्कार कर पाएंगे।