1–2 जुलाई की रात हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा का कहर बरपा जब एक साथ 17 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएँ हुईं। इनमें सबसे अधिक असर मंडी जिले पर रहा, जहाँ 15 स्थानों पर अचानक बादल फटने से ब्यास नदी समेत अनेक नालों ने उग्र रूप धारण कर लिया । कुल मिलाकर प्रदेश में अब तक 18 लोगों की मौत, 34 लापता, और 332 लोग बचाए गए हैं ।
मंडी जिले की तबाही की तस्वीरें बार-बार दिखीं
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मंडी में 24 मकान, 12 गोशालाएँ जमींदोज हो गईं और लगभग 30 जानवर बह गए ।
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कुकलाह के पास पट्टिकरी (Pattikari) में 16 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट भयंकर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया ।
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करसोग, धर्मपुर, गोहर आदि उपमंडलों में भी कई घर और सामुदायिक संरचनाएं बहकर तबाह हुईं; कई लोग अचानक आई बाढ़ में जिंदा बह गए, जबकि कुछ लापता हो गए ।
अन्य जिलों में हालात भी गंभीर
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कुल्लू में आनी बैहना के पास कारशा नाले का पानी राष्ट्रीय राजमार्ग को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया ।
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किन्नौर जिले के सांगला तहसील अंतर्गत खरोगला गांव में भी बादल फटने की घटना सामने आई ।
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चंबा जिले में तेज बारिश और धुंध की वजह से सड़क हादसे में एक युवक की जान चली गई ।
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कांगड़ा के नादौन क्षेत्र में भी पानी-जनित हादसा हुआ, जिसमें एक महिला की मृत्यु हो गई ।
रेस्क्यू ऑपरेशन तेज गति से जारी
प्रशासन, एनडीआरएफ और स्थानीय बचाव टीमें पूरे रात्रि और सुबह तक बचाव कार्य में जुटी रहीं। करसोग, थुनाग, गोहर आदि में सैंकड़ों लोगों को सुरक्षित निकाला गया, कई घायल भी अस्पतालों में भर्ती किए गए ।
विस्तृत नुकसान और प्रचारित आंकड़े
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्राथमिक अनुमान के अनुसार इस आपदा के कारण हिमाचल प्रदेश में लगभग ₹500 करोड़ का नुकसान होने का संकेत दिया है । 20 जून से 1 जुलाई तक भारी बारिश और बादल फटने से हुए कुल नुकसान को ₹356.67 करोड़ बताया गया है ।
मौसम विभाग की चेतावनी जारी
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने प्रदेश के कई इलाकों के लिए आगामी चार दिनों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट, और अन्य स्थानों पर येलो अलर्ट जारी किया है । मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों में अगले दिन बाढ़ की संभावना बनी हुई है ।
यह घटना हिमाचल की भौगोलिक संवेदनशीलता और औसत अपेक्षा से कहीं तेज और विनाशकारी बारिश का संकेत है। प्रशासन और बचाव दलों को तत्काल राहत कार्य तेज करने, प्रभावित इलाकों में युवाओं और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने, और भविष्य के लिए स्टॉन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स को प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत है।