भारत के युवा वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला ने देश के अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। अंतरिक्ष में 18 दिनों के लंबे और जटिल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद वे मंगलवार देर रात सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए। यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से अहम रहा, बल्कि भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार में भी मील का पत्थर साबित हुआ।
इस मिशन की खासियत क्या रही? आइए 10 बिंदुओं में समझें:
-
🔭 मिशन का उद्देश्य: शुभांशु को वैज्ञानिक प्रयोगों और मानव अनुकूल जीवन प्रणाली की जांच के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया था।
-
🛰️ मिशन की अवधि: 18 दिनों तक शुभांशु अंतरराष्ट्रीय मानकों से सुसज्जित भारतीय अंतरिक्ष प्रयोगशाला में रहे।
-
🔬 प्रयोग: उन्होंने अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण रहित वातावरण में जैविक कोशिकाओं, मस्तिष्क तरंगों और सूक्ष्मजीवों पर प्रयोग किए।
-
🌡️ स्वास्थ्य निगरानी: मिशन के दौरान उनके रक्तचाप, हृदयगति, मानसिक स्थिति और नींद के चक्रों पर निरंतर निगरानी रखी गई।
-
🧠 मनोवैज्ञानिक अध्ययन: अकेलेपन और अंतरिक्ष में मानसिक दबाव को लेकर कई मनोवैज्ञानिक अध्ययन भी किए गए।
-
🔌 तकनीकी नवाचार: मिशन के दौरान भारतीय तकनीक से बनाए गए सेंसर, एयर-फिल्ट्रेशन सिस्टम और ऊर्जा प्रणाली की कार्यक्षमता भी परखी गई।
-
🛬 वापसी: शुभांशु की वापसी विशेष कैप्सूल के ज़रिए की गई, जो तय कार्यक्रम के अनुसार अरब सागर में उतरा और वहां से उन्हें निकाला गया।
-
🇮🇳 ISRO की बड़ी उपलब्धि: यह मिशन ‘गगनयान’ से पहले का ट्रायल माना जा रहा है, जिसमें भारत ने अपने तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया।
-
👨🚀 देश का गर्व: शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में अकेले जाने वाले सबसे युवा भारतीय बन गए हैं।
-
ISRO ने संकेत दिया है कि अगले 2 वर्षों में मानवयुक्त दीर्घकालिक मिशन की शुरुआत की जा सकती है।