21 जुलाई 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे की खबर ने राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी। उनके इस कदम ने न केवल सत्ता पक्ष को चौंकाया, बल्कि विपक्षी दलों में भी हलचल पैदा कर दी है।
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि "शारीरिक कारणों से अब मैं संविधान द्वारा सौंपे गए दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं।" हालांकि, इस संक्षिप्त बयान ने अटकलों को शांत करने के बजाय और अधिक सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है सच्चाई?
धनखड़ का कार्यकाल अभी काफी समय शेष था। उन्होंने उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति की भूमिका में कई बार निष्पक्षता और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करते हुए चर्चाओं को संचालित किया था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से कुछ सांसदों के साथ तीखी बहसों और सत्रों के दौरान बढ़ती टकरावपूर्ण स्थितियों ने राजनीतिक तनाव को उजागर किया था।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल स्वास्थ्य कारणों से ऐसा बड़ा फैसला लेना असामान्य है। कई लोग इसे भाजपा के भीतर किसी "सामरिक फेरबदल" का हिस्सा भी मान रहे हैं। वहीं विपक्षी दल इसे संस्थागत दबाव और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का संकेत मानकर सवाल उठा रहे हैं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके योगदान की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कहा, "धनखड़ जी ने हमेशा संविधान की गरिमा बनाए रखी और देशहित को सर्वोपरि रखा। उनके स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार की कामना करता हूं।"
अब नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि नया उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह बदलाव सिर्फ औपचारिक है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी है।
धनखड़ का इस्तीफा एक ऐसे समय में आया है जब संसद का मानसून सत्र चल रहा है और कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर बहस होनी है। ऐसे में यह इस्तीफा केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से उठाया गया कदम है या इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति — यह आने वाले दिनों में साफ हो पाएगा।