उत्तर भारत में भारी बारिश के चलते गंगा और यमुना नदियों में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी और इटावा जैसे जिलों में गंगा-यमुना खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। वहीं राजस्थान के कोटा, धौलपुर और भरतपुर में भी हालात चिंताजनक हैं। गंगा और यमुना की बाढ़ के कारण दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं और हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
यूपी में बाढ़ का विकराल रूप
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम क्षेत्र में जलभराव के कारण कई रिहायशी इलाके डूब चुके हैं। प्रशासन की ओर से राहत शिविर बनाए जा रहे हैं, लेकिन विस्थापितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वाराणसी और बलिया में भी गंगा का पानी रिहायशी इलाकों में घुस चुका है। ग्रामीण नाव के सहारे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है।
राजस्थान में भी बाढ़ से हाहाकार
राजस्थान में चंबल नदी उफान पर है। कोटा और धौलपुर जिलों में जलस्तर तेजी से बढ़ा है। चंबल नदी से जुड़े कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। कृषि भूमि डूबने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रशासन ने आपदा प्रबंधन दलों को सक्रिय कर दिया है, लेकिन दूरदराज के इलाकों तक राहत पहुंचाने में कठिनाइयाँ हो रही हैं।
राहत और बचाव कार्य जारी
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और लोकल प्रशासन की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं। नावों के माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, राशन व जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कुछ क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूलों और सामुदायिक भवनों को अस्थाई राहत शिविर में बदला गया है।