प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से एक ही दिन अलग-अलग मुलाकातों ने देश की राजनीति में नए कयासों को जन्म दे दिया है। राष्ट्रपति भवन में हुई इन बैक-टू-बैक बैठकों को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें तेज हो गई हैं।
हालांकि राष्ट्रपति भवन की ओर से इन बैठकों को "शिष्टाचार भेंट" बताया गया, लेकिन जिस तरह से ये मुलाकातें करीबी समय में हुईं, उसने चर्चाओं को बल दे दिया है। खासकर तब, जब हाल के दिनों में केंद्र सरकार और कुछ राज्यों के बीच टकराव और संगठन स्तर पर फेरबदल की अटकलें पहले से ही गर्म थीं।
क्या है सियासी पृष्ठभूमि?
देश में कुछ राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें पहले से चल रही हैं। इसके अलावा, संसद के आगामी सत्र को लेकर रणनीतिक तैयारियों और मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल की बातें भी सुर्खियों में हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की राष्ट्रपति से अलग-अलग भेंटों को सिर्फ सामान्य प्रक्रिया मानना कठिन है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली, जबकि अमित शाह की बातचीत 30 मिनट तक चली। दोनों ने राष्ट्रपति से अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई।
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इन मुलाकातों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ऐसे समय में जब कई संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा हो रही है, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की राष्ट्रपति से गोपनीय मुलाकातें जनता को जवाब मांगने पर मजबूर करती हैं।”
सरकार ने कहा – रूटीन बातचीत
सरकारी सूत्रों का कहना है कि ये मुलाकातें पहले से तय थीं और इसमें कोई असामान्य बात नहीं है। राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री और मंत्रियों की नियमित मुलाकातें होती रहती हैं।