लोकसभा ने मंगलवार को इनकम टैक्स (नंबर-2) बिल 2025 को मंजूरी दे दी, जिसे सरकार ने ‘S.I.M.P.L.E’ यानी Simplified Income Management and Progressive Levy for Everyone नाम दिया है। सरकार का दावा है कि यह नया कानून कर प्रणाली को आसान, पारदर्शी और सभी के लिए समान बनाएगा। वित्त मंत्री ने इसे “जन-हितैषी टैक्स सुधार” बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य टैक्सदाताओं पर बोझ कम करना और अनुपालन को सरल बनाना है।
क्या है ‘S.I.M.P.L.E’ कानून?
यह कानून मौजूदा आयकर ढांचे में बड़े बदलाव लाता है। इसमें कर स्लैब को पुनर्गठित किया गया है, फाइलिंग प्रक्रिया को डिजिटलीकृत किया गया है और छोटे करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाई गई है। सरकार का कहना है कि इसका लक्ष्य टैक्स चोरी पर अंकुश लगाना और ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहन देना है।
मुख्य प्रावधान
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कर स्लैब में बदलाव: निम्न और मध्यम आय वर्ग को राहत देते हुए 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर शून्य कर, जबकि 5 से 10 लाख रुपये तक की आय पर कर दर 10% कर दी गई है।
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सिंपल फाइलिंग प्रोसेस: टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन और पेपरलेस होगी।
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स्मार्ट डिडक्शन सिस्टम: शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास ऋण पर मिलने वाली छूट को स्वचालित रूप से कैलकुलेट किया जाएगा।
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टैक्स ऑडिट में छूट: 50 लाख रुपये तक वार्षिक टर्नओवर वाले छोटे व्यवसायों को ऑडिट से छूट।
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पारदर्शी मूल्यांकन: सभी मामलों का चयन रैंडम डिजिटल ड्रॉ के जरिए होगा ताकि मानवीय हस्तक्षेप कम हो।
सरकार का तर्क
वित्त मंत्री ने कहा कि नया कानून न केवल कर संग्रहण को बढ़ाएगा, बल्कि टैक्स प्रणाली पर भरोसा भी मजबूत करेगा। इससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में सुधार होगा और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने आरोप लगाया कि नए कानून में बड़े कॉरपोरेट को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। उन्होंने कर सुधारों पर संसद की स्थायी समिति में और चर्चा की मांग की, हालांकि बहुमत के चलते बिल आसानी से पारित हो गया।
अब यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। सरकार का दावा है कि ‘S.I.M.P.L.E’ कानून से करदाताओं को सुविधा और पारदर्शिता दोनों का लाभ मिलेगा।