अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) को आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह कदम दक्षिण एशिया में स्थिरता और आतंकवाद से निपटने की रणनीति का हिस्सा है। BLA लंबे समय से बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर स्वतंत्र राज्य बनाने की मांग को लेकर सशस्त्र गतिविधियों में शामिल है।
BLA की पृष्ठभूमि
बलूच लिबरेशन आर्मी की स्थापना 2000 के दशक की शुरुआत में हुई थी। इसका उद्देश्य बलूचिस्तान की “स्वतंत्रता” के लिए सशस्त्र संघर्ष करना है। संगठन पाकिस्तान के सुरक्षा बलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर हमले कर चुका है। इसके निशाने पर खासतौर पर चीनी नागरिक और निवेश परियोजनाएं रही हैं, जिन्हें BLA “बलूच संसाधनों के शोषण” का प्रतीक मानता है।
अमेरिका का तर्क
अमेरिकी विदेश मंत्री ने बयान जारी कर कहा कि BLA की गतिविधियां न केवल पाकिस्तान, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। इसे आतंकी संगठन घोषित करने से इसकी वित्तीय मदद, हथियारों की आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को बाधित करने में मदद मिलेगी। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में ऐसे संगठनों के खिलाफ कठोर कदम उठाना आवश्यक है।
BLA की रणनीति और गतिविधियां
BLA के लड़ाके पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में सक्रिय हैं। वे गुरिल्ला युद्ध, बम धमाकों और टारगेट किलिंग जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं। संगठन खुद को बलूच जनता का “रक्षक” बताता है, लेकिन पाकिस्तान सरकार इसे आतंकी समूह मानती है, जो देश की संप्रभुता के खिलाफ काम कर रहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
इस फैसले का स्वागत करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का संकेत है। पाकिस्तान का दावा है कि BLA को विदेश से आर्थिक और राजनीतिक समर्थन मिलता रहा है, जिसे रोकना जरूरी है।
संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से BLA की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां सीमित होंगी और उसकी फंडिंग पर सीधा असर पड़ेगा। हालांकि, यह भी आशंका जताई जा रही है कि संगठन भूमिगत होकर और अधिक हिंसक रणनीति अपना सकता है।
अमेरिका का यह कदम बलूचिस्तान मुद्दे को वैश्विक सुर्खियों में ले आया है, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं।