अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एलान किए गए 50% तक के टैरिफ (25% + अतिरिक्त 25%) ने भारत की MSME-उद्यमों के लिए गंभीर प्रवाह और प्रतिस्पर्धात्मक चुनौती उत्पन्न कर दी है। MSMEs, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 45% योगदान देते हैं, अब सीधे इस व्यापारिक तनाव की चपेट में हैं ।
यह टैरिफ वृद्धि उन प्रमुख श्रम-गहन क्षेत्रों को निशाना बना रही है जहाँ MSMEs की मौजूदगी सबसे अधिक है—जैसे कि वस्त्र (textiles), गेम्स और ज्वेलरी, हैंडलूम, शीर्षकलаи, और अभियांत्रिकी (engineering goods) ।
उदाहरण के तौर पर:
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वस्त्र एवं ज्वेलरी क्षेत्र: अमेरिकी बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी भारी थी—लगभग $22 बिलियन निर्यात, जिनमें 40–70% बिक्री कुछ बड़ी कंपनियों (Welspun Living, Gokaldas Exports आदि) के जरिए होती थी। अब उच्च टैरिफ से ये खिलाड़ी उत्पादन/निर्यात में कटौती पर विचार कर रहे हैं ।
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टेक्सटाइल-उद्योग (विशेष रूप से पंजाब, Ludhiana): 50% टैरिफ की आशंका से ₹1 लाख करोड़ से अधिक निर्यात आदेश रद्द हो सकते हैं। यह क्षेत्र सामग्री, मिलों, मशीन टूल्स तक प्रभावित होने के संकेत हैं ।
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ऑटो कंपोनेंट्स: भारत–यूएस ऑटो पार्ट्स व्यापार (लगभग $7 बिलियन) पर टैरिफ का सीधा असर पड़ेगा—15–20% तक की निर्यात कटौती का अनुमान है, जो कुल उत्पादन का 8% तक हो सकता है ।
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समग्र आर्थिक प्रभाव: अमेरिका में भारतीय निर्यात लगभग $86–87 बिलियन है, और Tr ump द्वारा लगाए गए टैरिफ से GDP वृद्धि दर पर 60 बेसिस पॉइंट तक का असर संभावित है। सरकार ने क्रेडिट गारंटी और वित्तीय सहायता योजनाओं पर काम तेज कर दिया है