बिहार में तेज़ बारिश के बाद राज्य के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। पूर्वी भारत के इस नदी-प्रवण राज्य में लगभग 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि कुछ आँकड़ों में यह संख्या 15 लाख से अधिक बताई जा रही है, लेकिन नवीनतम जानकारी के अनुसार प्रभावितों की संख्या 25 लाख से ऊपर है । मुख्य रूप से गंगा, कोसी, बागमती, बुढ़ी गंडक, पुनपुन व घाघरा जैसी नदियाँ खतरे के अंक से ऊपर बह रही हैं, जिससे स्थिति और विकट बनी हुई है ।
उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक का निर्णय-मूल्य:
— मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 अगस्त, 2025 को एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें प्रभावित दस जिलों — भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार — की स्थिति पर चर्चा हुई ।
— बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से मुख्यमंत्री आवास स्थित “संकल्प हॉल” से संचालित की गई ।
— बैठक में NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की 7 और SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की 9 टीमें सक्रिय रूप से राहत-कार्य में लगी हुई हैं। साथ में 1,233 से अधिक नावें, जिनमें 60 मोटरबोट शामिल हैं, राहत कार्य में उपयोग हो रही हैं।
— राहत कैम्पों में SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) के तहत व्यवस्था की गई है; समुदाय रसोईघरों (कम्युनिटी किचन) के माध्यम से 13 लाख से अधिक लोग भोजन प्राप्त कर चुके हैं। साथ ही 52,573 पॉलीथीन शीट्स, 1,800 सूखे राशन पैकेट्स, पशु चारे और चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं ।
— मुख्यमंत्री ने प्रभावित लोगों को ग्रेच्यूटी (मुफ्त राहत राशि) उपलब्ध कराने, फसल क्षति मुआवजा का भुगतान शीघ्र करने, और मार्ग एवं सड़कों की मरम्मत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ।
नीतीश सरकार का यह आपदा-प्रबंधन सचेत और योजनाबद्ध दिखाई दे रहा है। monsoon season में पहले से तैयार रहने की रणनीति (2005 से SOP के अनुसार) जारी है, जिससे राहत कार्यों में तेजी और पारदर्शिता बनी है । हालांकि प्रभावितों की संख्या 25 लाख से अधिक है, अतः आगे संभावित राहत एवं पुनर्वास योजनाओं की गति तय करेगी कि बिहार इस मानवीय संकट से कितनी कुशलता से निपटता है।