जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में शुक्रवार देर रात भीषण बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचा दी। शुरुआती जानकारी के अनुसार, अब तक 52 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। यह हादसा पद्धर इलाके के चशोटी गांव में हुआ, जहां मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे श्रद्धालु भी इसकी चपेट में आ गए। जिला प्रशासन और बचाव एजेंसियों के अनुसार, घटना के समय इलाके में सैकड़ों लोग मौजूद थे। अचानक पहाड़ी से तेज़ पानी, मलबा और चट्टानें नीचे आने लगीं, जिससे कई लोग बह गए और कई मकान, दुकानें व तंबू बहाव में समा गए। राहत और बचाव अभियान में सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार जुटी हुई हैं। अब तक 167 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जिनमें कई घायल भी हैं। घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे के वक्त मचैल माता यात्रा के श्रद्धालु तंबुओं और अस्थायी शिविरों में ठहरे हुए थे। तेज बारिश और पानी के तेज बहाव ने उन्हें निकलने का मौका तक नहीं दिया। कई वाहन भी बहाव में फंस गए हैं। घाटी में बारिश का दौर जारी रहने से राहत कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने राहत व बचाव कार्य में किसी भी तरह की कमी न छोड़ने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है। मौसम विभाग ने किश्तवाड़ और आसपास के इलाकों में अगले 24 घंटे तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों के पास न जाने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं अचानक होती हैं और इनसे बचाव के लिए समय बहुत कम मिलता है, ऐसे में स्थानीय स्तर पर त्वरित चेतावनी प्रणाली और सुरक्षित शिविरों की व्यवस्था बेहद ज़रूरी है। यह हादसा न केवल प्राकृतिक आपदा की भयावहता को दर्शाता है, बल्कि पहाड़ी इलाकों में धार्मिक यात्राओं और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती को भी सामने लाता है।