बिहार में विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारी के बीच एक अहम कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने राज्य की वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नाम सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। यह सूची 15 अगस्त 2025 से आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगी, जिससे मतदाता घर बैठे अपना रिकॉर्ड जांच सकेंगे।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, यह पहल पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे नाम हटाए गए हैं जो या तो मृत पाए गए, दोहरी प्रविष्टि में दर्ज थे, या लंबे समय से संबंधित क्षेत्र में नहीं रह रहे थे। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया में किसी भी वैध मतदाता का नाम गलती से हटने की संभावना को ध्यान में रखते हुए लोगों को अपना विवरण सत्यापित करने का मौका दिया जा रहा है।
राज्य निर्वाचन कार्यालय के अनुसार, मतदाता अपने नाम की स्थिति जांचने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट या मोबाइल एप का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपना नाम, पिता/पति का नाम और विधानसभा क्षेत्र का विवरण दर्ज करना होगा। अगर कोई मतदाता पाता है कि उसका नाम गलती से हट गया है, तो वह ऑनलाइन या निकटतम चुनाव कार्यालय में फॉर्म-6 भरकर अपना नाम पुनः शामिल करा सकता है।
चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस प्रक्रिया की जानकारी व्यापक स्तर पर फैलाएं और प्रत्येक पंचायत, नगर निकाय तथा वार्ड में जागरूकता अभियान चलाएं। साथ ही, बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर्स) को भी अपने-अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर मतदाताओं को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने से चुनावी समीकरणों पर असर पड़ सकता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां प्रवासन और जनसंख्या परिवर्तन के कारण मतदाता सूचियों में लगातार बदलाव होते रहते हैं।
चुनाव आयोग का यह कदम न केवल मतदाता सूची को अद्यतन और सटीक बनाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पात्र मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित न हो। आयोग ने लोगों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपने नाम की स्थिति जांचें और किसी भी त्रुटि को समय रहते सुधारें, ताकि आगामी चुनावों में मतदान सुचारू रूप से हो सके।