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हरियाणा

Haryana Latest News September 9, 2025

September 09, 2025 07:14 AM

*हरियाणा बनेगा ड्रोन टेक्नोलॉजी का हब: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी*

 *252 ड्रोन पायलटों व 136 तकनीशियनों को मिला प्रमाण पत्र, हिसार के सिसाय में बनेगा दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा ड्रोन हब*

 चंडीगढ़, 8 सितम्बर— हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने ‘विकसित हरियाणा’ की ठोस रूपरेखा तैयार की है। इस दिशा में हरियाणा को ड्रोन टेक्नोलॉजी, नवाचार और नई तकनीक का हब बनाने की पहल की जा रही है।

 मुख्यमंत्री आज हरियाणा निवास में आयोजित ड्रोन पायलटों और तकनीशियनों के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से प्रमाणित 252 ड्रोन पायलटों और 136 ड्रोन तकनीशियनों को प्रमाण पत्र वितरित किए।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि हरियाणा की ड्रोन टेक्नोलॉजी में लंबी छलांग है। हिसार जिले के गांव सिसाय में देश का पहला ड्रोन विनिर्माण टेक्नोलॉजी हब स्थापित किया जा रहा है, जो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा हब होगा। इसमें ड्रोन के विनिर्माण, मरम्मत और प्रशिक्षण की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सेना और सशस्त्र बलों के लिए 5 ड्रोन का ई-लोकार्पण तथा गांव सिसाय में बने एवीपीएल इंटरनेशनल के एग्रीकल्चर ड्रोन पैवेलियन का उद्घाटन भी किया।

 उन्होंने कहा कि हरियाणा के मेहनती युवा ड्रोन टेक्नोलॉजी में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं। प्रमाणित 388 ड्रोन पायलटों व तकनीशियनों में से 53 बेटियां हैं, जो महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘नमो ड्रोन दीदी’ और ‘किसान ड्रोन’ जैसी योजनाएं ग्रामीण समुदाय और किसानों को सशक्त बना रही हैं। ड्रोन से खेती-किसानी में समय और श्रम की बचत हो रही है, साथ ही उत्पादन और आय में भी बढ़ोतरी हो रही है।

 उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की प्रगति ने विश्व में एक नई पहचान बनाई है। वर्ष 2014 में विश्व की अर्थव्यवस्था में 11वें स्थान पर रहा भारत आज चौथे स्थान पर है और शीघ्र ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने सभी पायलटों और तकनीशियनों को बधाई देते हुए कहा कि वे आने वाले समय में हरियाणा और देश का नाम रोशन करेंगे।

 इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि देश की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत से भी कम प्रतिनिधित्व रखने के बावजूद हरियाणा ने हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आज की यह उपलब्धि हरियाणा को नई गति और ऊर्जा प्रदान करेगी। 

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अरुण कुमार गुप्ता, विदेश सहयोग विभाग के सलाहकार श्री पवन चौधरी, एवीपीएल इंटरनेशनल के श्री दीप सिहाग, डॉ. प्रीत संधू और सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल आर.के. आनंद सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। 

*हरियाणा की नई एयरोस्पेस एवं रक्षा नीति का उद्देश्य राज्य को भारत में एक अग्रणी रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाना है*

 *हरियाणा करनाल में एक आधुनिक क्रू प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगा*

 *हिसार एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर को एक प्रमुख एयरोस्पेस एवं रक्षा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एनआईसीडीसीटी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे*

 चंडीगढ़, 8 सितंबर -- हरियाणा सरकार ने देश की रक्षा विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य ने अपनी नई एयरोस्पेस और डिफेंस नीति लागू की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, यह नीति हरियाणा को देश में अग्रणी एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करती है।

 हरियाणा नागरिक उड्डयन आयुक्त एवं सचिव, श्रीमती अमनीत पी. कुमार ने आज यहाँ इस संबंध में आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की । बैठक में श्री उप महानिदेशक इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस एवं मुख्य परिचालन अधिकारी  श्री  विवेक विरमानी और रक्षा मंत्रालय के उप कार्यक्रम निदेशक इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस श्री जतिन अरोड़ा उपस्थित रहे। उन्होंने आईडीईएक्स ढाँचे के तहत उभरते अवसरों और सहयोगों पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की, जिससे भारत के भविष्य के रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में हरियाणा की संभावित भूमिका को बल मिला।

 श्रीमती अमनीत पी. कुमार ने कहा कि नीति पहले ही अधिसूचित की जा चुकी है और इस योजना के अंतर्गत आगामी योजनाओं को जल्द ही औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा। नई नीति का उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना, लगभग 25,000 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना तथा उत्कृष्टता केंद्र, अनुसंधान एवं विकास इकाइयाँ और विश्व स्तरीय कौशल विकास संस्थान स्थापित करना है। इसमें हरियाणा को उत्तर भारत के प्रमुख रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) केंद्रों में से एक के रूप में विकसित करने की भी परिकल्पना की गई है। साथ ही, मजबूत सुविधा उपायों और बुनियादी ढाँचे के समर्थन के माध्यम से वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएमएस), टियर-1 आपूर्तिकर्ताओं और अग्रणी भारतीय कंपनियों को आकर्षित किया जाएगा।

 इसके अतिरिक्त, लॉजिस्टिक्स और परिवहन के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धी एमआरओ हब का निर्माण तथा नवाचार को बढ़ावा देने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए एमएसएमई को केंद्रित समर्थन प्रदान करने पर भी विशेष बल दिया गया है। बैठक के दौरान कहा गया कि राज्य सरकार हिसार एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (आईएमसी) को एक प्रमुख एयरोस्पेस एवं रक्षा केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। यह परियोजना एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के माध्यम से क्रियान्वित की जाएगी, जिसमें हरियाणा एयरोस्पेस एंड डिफेंस कॉरपोरेशन (एचएडीसी) की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं निगम ट्रस्ट (एनआईसीडीसीटी) 1,810.58 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 49 प्रतिशत हिस्सेदारी निभाएगा। यह परियोजना कुल 2,988 एकड़ भूमि पर विकसित की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 4,679.56 करोड़ रुपये है और इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। एनआईसीडीसीटी के साथ समझौता ज्ञापन पर शीघ्र ही हस्ताक्षर किए जाएँगे। यह परियोजना पर्यावरणीय संतुलन और स्थिरता पर विशेष ध्यान देती है। पहले चरण के अंतर्गत 61 प्रतिशत भूमि - लगभग 980 एकड़ - औद्योगिक विकास के लिए समर्पित होगी, जबकि शेष भूमि का उपयोग सहायक बुनियादी ढाँचे, उपयोगिताओं, हरित क्षेत्रों और सड़क नेटवर्क के लिए किया जाएगा। 937 एकड़ भूमि के लिए पर्यावरणीय मंजूरी पहले ही प्राप्त हो चुकी है, जबकि शेष 668 एकड़ भूमि के लिए दिसंबर 2025 तक मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

 उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल ने हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति-2020 के अंतर्गत दिए जा रहे विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रक्षा क्षेत्र को इस नीति में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार करनाल में एक आधुनिक क्रू प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर रही है जो विमानन प्रशिक्षण और कौशल विकास का प्रमुख केंद्र बनेगा। यह पहल एयरोस्पेस एवं रक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के राज्य के व्यापक दृष्टिकोण का पूरक है।

 अपने व्यापक ढाँचे, दूरदर्शी दृष्टिकोण और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, हरियाणा की एयरोस्पेस एवं रक्षा नीति राज्य को इस क्षेत्र में निवेश के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बनाने के लिए तैयार है। इस नीति से रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता में गति मिलेगी। हरियाणा को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत करने और सतत आर्थिक विकास के नए अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।

*पानी निकासी के लिए पूरी ताकत से जुटें अधिकारी, पानी सीधा नाले-नालियों में जाए न कि किसी कालोनी में: ऊर्जा मंत्री अनिल विज*

 *ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने इंडस्ट्रियल एरिया में पानी निकासी प्रबंधों का जायजा लिया व अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश*

 चंडीगढ़,  08 सितम्बर -- हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री श्री अनिल विज ने अधिकारियों से कहा कि जहां-जहां पानी खड़ा है उसे निकालने के लिए वह पूरी ताकत के साथ जुट जाएं। पानी निकासी के समय यह ध्यान अवश्य रखा जाए कि पानी सीधा नाले-नालियों में जाए न कि किसी कॉलोनी में जाए।

श्री विज आज अंबाला में विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों की बैठक करने उपरांत बोल रहे थे।

 बैठक में ऊर्जा मंत्री को अधिकारियों ने अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों के बारे में तथा इन क्षेत्रों में पानी निकासी के इंतजाम के बारे में भी अवगत करवाया। मंत्री को अधिकारियों ने यह भी बताया कि इंडस्ट्री एरिया से पहले की जा रही पानी निकासी को कुछ तत्वों द्वारा रुकवा दिया गया था।

 बैठक के दौरान श्री विज ने इंडस्ट्रीयल एरिया से पानी निकासी की योजना तैयार की। पानी निकासी के लिए मौके पर अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारियां दी गई। उन्होंने निर्देश दिए कि विभाग एकजुटता से इंडस्ट्रियल एरिया से पानी निकासी के कार्य में जुट जाएं। बैठक के उपरांत श्री अनिल विज इंडस्ट्रियल एरिया का दौरा कर पानी निकासी कार्य में लगे अधिकारियों, कर्मचारियों तथा उद्योगपतियों से बातचीत की तथा शीघ्र पानी निकासी के दिशा-निर्देश भी दिए।

 *हमें एक सिद्धांत मन में पक्का करना है कि हमारे लिए कोई पराया नहीं है, सभी अपने हैं: मंत्री अनिल विज*

 ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने बैठक के दौरान जल भराव के दृष्टिगत प्रशासन के अधिकारियों द्वारा बेहतर कार्य करने पर उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि जलभराव के तहत दो कार्य बेहद जरूरी होते हैं, जिसमें एक तो तुरन्त कार्य करते हुए राहत देना और दूसरा बाद में उस कार्य के लिए स्थाई समाधान हेतु कार्य करना होता है। उन्होंने कहा हमें एक सिद्धांत मन में पक्का करना है हमारे लिए कोई पराया नहीं है, सारे अपने हैं।

 एनएचएआई के प्रोजैक्ट डायरेक्टर ने मंत्री अनिल विज को बताया कि इंडस्ट्रियल एरिया के सामने सडक़ पर जो पानी है उसे निकालने का काम किया जा रहा है जिसे जल्द निकाल दिया जाएगा। जलभराव यहां न हो इसके लिए आसपास क्षेत्रों में सर्वे टीम भी लगाई गई है ताकि आगे की रूप रेखा बनाते हुए परियोजना तैयार की जाएगी।

 *टांगरी नदी को गहरा करने से फायदा हुआ:- अनिल विज*

 ऊर्जा मंत्री ने इस मौके पर एनएचएआई के अधिकारियों को यह भी कहा कि टांगरी नदी को गहरा करने का फायदा यह हुआ है कि टांगरी नदी में जलस्तर खतरे के निशान से अधिक होने के बावजूद भी अम्बाला छावनी के शहरी क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति कम रही। उन्होंने कहा भविष्य में यहां से जो भी मिट्टी उठाई जाएगी, उस वाहन पर जीपीएस होना सुनिश्चित होना चाहिए।

*फसल से लेकर मकान तक हर नुकसान की भरपाई होगी: रणबीर गंगवा*

 चंडीगढ़, 08 सितंबर-- हरियाणा के लोक निर्माण मंत्री श्री रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में भारी बारिश और ड्रेन टूटने से किसानों की फसलों व लोगों की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार किसानों और आमजन को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने देगी तथा हर प्रभावित व्यक्ति को शीघ्र राहत पहुंचाई जाएगी।

 उन्होंने बताया कि किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला है। इस पोर्टल पर किसान अपनी खराब हुई फसलों का विवरण अपलोड कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक जिले के 276 गांवों के 40 हजार 433 किसानों द्वारा लगभग 2 लाख 55 हजार 491 एकड़ भूमि में फसल नुकसान का पंजीकरण किया जा चुका है। सरकार शीघ्र ही इन दावों की जांच पूरी कर किसानों को मुआवजा राशि उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया शुरू करेगी।

 कैबिनेट मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि केवल किसान ही नहीं, बल्कि जिन लोगों के मकानों या छतों को नुकसान पहुंचा है, उनको भी राहत दी जाएगी। राज्य सरकार का उद्देश्य हर उस परिवार तक सहयोग पहुंचाना है, जो इस आपदा से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में सरकार पूरी मजबूती से जनता के साथ खड़ी है।

 कैबिनेट मंत्री ने आगे बताया कि प्रदेश के सभी विधायक और समर्थित विधायक एक-एक महीने का वेतन बाढ़ राहत कार्यों के लिए देंगे। यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाएगी ताकि प्रभावित लोगों की सहायता में इसका उपयोग हो सके। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से भी अपील की है कि वे स्वेच्छा से मुख्यमंत्री राहत कोष में सहयोग दें।

 उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं भी लगातार मदद कर रही हैं। यह सहयोग सराहनीय है और इससे प्रभावित परिवारों को बड़ी राहत मिल रही है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा कठिन समय लेकर आती है, लेकिन सरकार, समाज और संगठन मिलकर इस चुनौती से भी उबर लेंगे। 

*हरियाणा का ईआरएसएस-112 उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ सार्वजनिक सुरक्षा के एक मॉडल के रूप में उभरा*

 चण्डीगढ़, 8 सितंबर -- हरियाणा की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस -112), जोकि 12 जुलाई, 2021 को शुरु की गई थी, ने अबतक 2.50 करोड़ से अधिक कॉल अटेंड की है और 51.95 लाख मामलों में सेवाएँ भेजी हैं। इसके अलावा इस प्रणाली के तहत आपातकालीन प्रतिक्रिया समय को वर्ष 2021 के 24.18 मिनट से घटाकर वर्ष 2025 में केवल 12.45 मिनट कर दिया है तथा 91.63 प्रतिशत की प्रभावशाली नागरिक संतुष्टि दर हासिल की है। गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि इन उपलब्धियों ने ईआरएसएस-112 को राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा की आधारशिला के रूप में मजबूती से स्थापित किया है।

 डॉ. मिश्रा ने कहा कि ईआरएसएस -112 सभी प्रमुख आपातकालीन नंबरों को एक एकीकृत प्रणाली में समेकित करता है। यह तकनीक-संचालित प्लेटफॉर्म पुलिस, अग्निशमन, एम्बुलेंस, यातायात, साइबर अपराध, आपदा प्रबंधन, महिला हेल्पलाइन और चाइल्ड हेल्पलाइन जैसी कई आपातकालीन हेल्पलाइनों को एकीकृत करता है। उन्होंने कहा कि इस एकीकरण से भ्रम की स्थिति दूर हुई है और विभिन्न एजेंसियों के बीच निर्बाध समन्वय हुआ है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संकट में नागरिकों को समय पर सहायता मिल रही है।

 डॉ. मिश्रा ने कहा कि यह प्रणाली एक आधुनिक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष के माध्यम से संचालित होती है, जिसमें 180 संचार अधिकारी और 125 डिस्पैच अधिकारी चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं। 1,727 जीपीएस-सक्षम आपातकालीन प्रतिक्रिया वाहनों (ईआरवी) का बेड़ा संसाधनों की त्वरित तैनाती सुनिश्चित करता है। नागरिक-केंद्रित पहल में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस उपचार के लिए पायलट योजना के तहत पांच निजी एम्बुलेंस को भी एकीकृत किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दुर्घटना पीड़ितों को बिना किसी वित्तीय बाधा के समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके।

 डॉ. मिश्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरियाणा -112 की वृद्धि निरंतर और प्रभावशाली रही है। वार्षिक कॉल की संख्या वर्ष 2021-22 में 54.44 लाख से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 69.26 लाख हो गई, जो जनता के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। इसी प्रकार, डिस्पैच इवेंट लगभग तीन गुना बढे हैं जो वर्ष 2021-22 में 7.22 लाख थे से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 19.60 लाख हो गए हैं।

 हरियाणा सरकार निरंतर नवाचार के माध्यम से ईआरएसएस-112 को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्मार्ट तकनीकों और आईसीटी समाधानों का लाभ उठाकर राज्य ने यह सुनिश्चित किया है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया तेज़, अधिक समन्वित और नागरिक-अनुकूल हो। “हरियाणा 112 एक सुरक्षित, उत्तरदायी और तकनीक-संचालित आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली के निर्माण में एक अग्रणी कदम है। नागरिकों का बढ़ता विश्वास, प्रतिक्रिया समय में निरंतर सुधार और उच्च संतुष्टि स्तर, जन सुरक्षा के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। डॉ. मिश्रा ने कहा कि हरियाणा ने वास्तव में दूसरों के लिए अनुकरणीय मानदंड स्थापित किया है।

 हरियाणा सरकार का लक्ष्य एम्बुलेंस एकीकरण का और विस्तार करना, अंतर-एजेंसी समन्वय को मज़बूत करना और सक्रिय आपातकालीन प्रबंधन के लिए एआई-संचालित पूर्वानुमान उपकरण शुरू करना है। इसका उद्देश्य हरियाणा 112 को न केवल राज्य-स्तर पर सफल बनाना है, बल्कि नागरिक-केंद्रित आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों के लिए एक वैश्विक मॉडल बनाना है।

 *हरियाणा में बनेगी राज्य सहकारिता नीति*

 *सहकारिता आंदोलन को मिलेगी मजबूती*

 *एक सप्ताह के अंदर होगा समिति का गठन*

 चंडीगढ़, 8 सितम्बर–हरियाणा अपनी राज्य सहकारिता नीति तैयार करने जा रहा है, जो राज्य में सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए एक सप्ताह के अंदर एक समिति गठित की जाएगी, जो प्रदेश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों के अनुभवों को भी इसमें शामिल करेगी।

 यह निर्णय आज यहां मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई राज्य सहकारिता विकास समिति (एससीडीसी) की बैठक में लिया गया। बैठक में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पंकज कुमार बंसल, संयुक्त सचिव श्री सिद्धार्थ जैन तथा निदेशक श्री कुमार राम कृष्ण उपस्थित रहे।

 मुख्य सचिव ने अधिकारियों को हरियाणा में 34 पैक्स का विविधीकरण करने और अन्य राज्यों की श्रेष्ठ प्रणालियों को अपनाने के निर्देश दिए, ताकि राज्य के सहकारिता क्षेत्र को नवाचार और समावेशिता का मॉडल बनाया जा सके।

 बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए रोहतक स्थित सहकारिता प्रबंधन केंद्र को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की योजना है।

 सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजयेंद्र कुमार ने बताया कि हरियाणा ने सहकारी संस्थाओं के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब तक 518 पैक्स ने CoopsIndia पोर्टल पर डे-एंड प्रक्रिया पूरी की है, 39 पैक्स गतिशील डे-एंड प्रणाली पर कार्य कर रही हैं, जबकि 338 पैक्स ई-पैक्स मोड में परिवर्तित हो चुकी हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि 57 पैक्स ने वित्तीय वर्ष 2024–25 के लिए अपना ऑनलाइन ऑडिट भी पूरा कर लिया है।

 रजिस्ट्रार सहकारिता समितियां, हरियाणा श्री राजेश जोगपाल ने बताया कि राज्य ने नई बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियाँ (एम- पैक्स), दुग्ध सहकारी समितियाँ और मत्स्य सहकारी समितियाँ स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, ताकि सभी पंचायतों तक सहकारी संस्थाओं की व्यापक पहुंच हो सके। वर्ष 2028–29 तक 477 नई एम-पैक्स और 583 नई दुग्ध सहकारी समितियाँ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 25 नई दुग्ध सहकारी समितियाँ गठित हो चुकी हैं और 15 मौजूदा समितियों को सुदृढ़ किया गया है। इसके अलावा, 22 नई एम-पैक्स स्थापित की गई हैं, जिन्हें जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से जोड़ा गया है। इन समितियों ने अब तक 31.57 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया है, जिससे किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को  लाभ मिला है।

बैठक में बताया गया कि राज्य सहकारिता नेटवर्क को स्वास्थ्य और डिजिटल सेवाओं से भी जोड़ा जा रहा है। 95 पैक्स को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रूप में संचालित करने की मंजूरी मिल चुकी है और 410 पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में कार्य कर रही हैं, जो गांव स्तर पर विभिन्न सरकारी सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं।

 वहीं, हैफेड ने राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) और राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (एनसीओएल) की सदस्यता प्राप्त की है, जिससे किसानों को निर्यात और जैविक खेती के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे।

 इसके अतिरिक्त, राज्य सहकारी बैंक को 19 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की ओर से बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से बीमा कॉरपोरेट एजेंट के रूप में कार्य करने की स्वीकृति मिल चुकी है। आरबीआई की अंतिम मंजूरी लंबित है। इसके लागू होने पर सहकारी बैंक अपने सदस्यों को बीमा सेवाएँ भी उपलब्ध करा सकेंगे, जिससे ग्रामीण समुदायों की वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी।

 बैठक में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) क्षेत्रीय कार्यालय की महाप्रबंधक (क्षेत्र), सुश्री शरणदीप कौर बराड़ सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

*सहकारिता से आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही सरकार*

 *किसानों व महिलाओं के हित में सहकारिता विभाग की नीतियों को तेज गति से लागू करें: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी*

 *सहकारिता बनेगा नारी सशक्तिकरण का आधार*

 चंडीगढ़8 सितम्बर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार नारी सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर  ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वीटा बूथों का आवंटन महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि इन बूथों के लिए स्थान जल्द चिन्हित किए जाएं और उनमें 50 प्रतिशत तक आरक्षण महिलाओं के लिए सुनिश्चित किया जाए। इसी प्रकार महिला सीएम पैक्स (PACSके गठन और संचालन की प्रक्रिया को भी तेजी से आगे बढ़ाया जाएताकि ग्रामीण महिलाओं को संगठित कर आर्थिक गतिविधियों में भागीदार बनाया जा सके।

 मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने सोमवार को चंडीगढ़ सिविल सचिवालय में सहकारिता विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी सहकारी बैंकों को आधुनिक आईटी सुविधाओं से लैस किया जाएताकि किसानों और उपभोक्ताओं को पारदर्शीप्रभावी और समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध हो सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाले भुगतान और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं की सब्सिडी राशि सीधे सहकारी बैंकों के माध्यम से जोड़ी जाए।

 उन्होंने निर्देश दिए कि न्यू सीएम पैक्स (PACS) के पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक सरल तथा पारदर्शी बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी शुगर मिलों के माध्यम से किसानों को गन्ना काटने की मशीनें कम किराये पर उपलब्ध करवाई जाएंजिससे गन्ना उत्पादकों की श्रम और लागत दोनों में कमी आएगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी।

 मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि प्रदेश में जन औषधि केंद्रों की संख्या में वृद्धि की जाए। इन केंद्रों के लिए स्थान अस्पतालों एवं स्वास्थ्य संस्थानों के निकट चिन्हित किए जाएंताकि आमजन को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकें।

 इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अरुण कुमार गुप्तासहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजयेंद्र कुमाररजिस्ट्रार सहकारिता विभाग श्री राजेश जोगपालमुख्यमंत्री के ओएसडी श्री भारत भूषण भारती सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

 *हरियाणा सरकार प्राकृतिक आपदा के समय नागरिकों के साथ खड़ीराहत उपायों के लिए तत्काल 3.26 करोड़ रुपये किए जारी – मुख्यमंत्री*

 *भारी बारिश से मकान ढहने से हरियाणा में 13 लोगों की मौतप्रभावित परिवारों  को 52 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की प्रदान*

 *फसलों व अन्य नुकसान की जानकारी के लिए खुला है क्षतिपूर्ति पोर्टल*

 *अब तक 5217 गांवों के 2,53,440 किसानों ने 14,91,130 एकड़ क्षेत्र का करवाया पंजीकरण उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में मकानों को हुए नुकसान का करें सर्वे – नायब सिंह सैनी*

 चंडीगढ़, 8 सितंबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश के कारण उत्पन्न बाढ़ जैसे हालातों में प्रभावित लोगों को तत्काल राहत उपायों के लिए सरकार ने जिलों को आरक्षित निधि के रूप में कुल 3 करोड़ 26 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है। इस धनराशि का उपयोग प्रभावित लोगों को भोजन, वस्त्र, अस्थायी आश्रय, तंबू, पशुओं के लिए चारा और पेट्रोल, डीजल व अन्य ईंधन सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं, राहत सामग्री के परिवहन और ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी कार्यों के लिए किया जा रहा है।

 मुख्यमंत्री आज यहां मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।

 श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह दुख की बात है कि इस प्राकृतिक आपदा में मकान ढहने से प्रदेश के 13 लोगों की जान चली गई। इनमें जिला फतेहाबाद में चार, भिवानी में तीन, कुरुक्षेत्र व यमुनानगर में दो-दो और हिसार व फरीदाबाद में एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। शोक संतप्त परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने तुरंत 52 लाख रुपये की अनुग्रह सहायता जारी की है। प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये की राशि दी जाएगी। इसके अलावा, घायलों को भी मदद के लिए 2 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने बाढ़ से नागरिकों को हुई कठिनाइयों को कम करने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला हुआ है। इसका उद्देश्य आम जनता द्वारा अपने नुकसान व क्षति के लिए आवेदन जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। साथ ही प्रभावित लोगों को हुए नुकसान के समयबद्ध तरीके से सत्यापन और मुआवजे के वितरण की प्रणाली में पारदर्शिता लाना है। अब तक क्षतिपूर्ति पोर्टल पर प्रदेश के 5217 गांवों के 2 लाख 53 हजार 440 किसानों ने 14 लाख 91 हजार 130 एकड़ क्षेत्र का पंजीकरण करवाया है। इस क्षेत्र के सत्यापन का काम जारी है।

 उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण जिन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा, ऐसे लोगों के लिए राहत शिविर लगाए गए हैं। जिन क्षेत्रों में पानी भर गया है वहां खराब फसलों के लिए प्रति एकड़ 15 हजार रुपये तक का मुआवजा दिया जाएगा। ऐसे क्षेत्रों में हरे चारे की कमी हुई तो इस समस्या को दूर करने के लिए उन जिलों से सूखा चारा मंगवाने का निर्णय लिया है, जिनमें जलभराव की समस्या नहीं है।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि जलभराव वाले क्षेत्रों में गिर गए अथवा आंशिक नुकसान वाले मकानों का सर्वे करवाया जाए। इसके अलावा, जो परिवार 20 वर्षों से पंचायती जमीन या इस प्रकार की अन्य जमीन पर काबिज हैं, उनके मकानों को भी यदि नुकसान हुआ है तो उनकी भी सूची तैयार की जाएगी और उन्हें भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।

 उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में डॉक्टरों की टीमें भेजकर उनकी चिकित्सा के व्यापक प्रबंध किये हैं। प्रभावित लोगों को चिकित्सा शिविर लगाकर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे इस स्थिति में जल की स्वच्छता का ध्यान रखें और पानी को उबालकर पीएं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सरकार लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। किसी भी नुकसान की स्थिति में प्रभावित लोगों को नियमानुसार आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।

 बाढ़ पीड़ितों को सहायता

क्रमांक

नुकसान

सहायता राशि

1

मृत्यु

4 लाख रुपये

2

अंग हानि (40-60 प्रतिशत)

74,000 रुपये

3

अंग हानि (60 प्रतिशत से अधिक)

2,50,000 रुपये

4

क्षतिग्रस्त मकान के लिए (मैदानी क्षेत्र में)

1,20,000 रुपये

5

क्षतिग्रस्त मकान के लिए (पहाड़ी क्षेत्र में)

1,30,000 रुपये 

6

आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त पक्के मकान के लिए (15 प्रतिशत)

10,000 रुपये

7

आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कच्चे मकान के लिए (15 प्रतिशत)

5,000 रुपये 

8

गांव में दुकान, संस्थान व उद्योग 100 प्रतिशत हानि (1 लाख रुपये तक)

1 लाख रुपये या वास्तविक हानि

 

1 लाख से 2 लाख तक

1.75 लाख रुपये

 

2 लाख से 3 लाख तक 

2.35 लाख रुपये

 

3 लाख से 4 लाख तक

2.75 लाख रुपये

 

4 लाख से 5 लाख तक

3.05 लाख रुपये

 

5 लाख से अधिक

3.05 लाख रुपये + 10 प्रतिशत

9

फसल हानि सब्सिडी (प्रतिशतता के आधार पर) प्रति एकड़ 

7,000 से 15,000 रुपये तक

10

दुधारू पशु हानि, भैंस, गाय, ऊंटनी आदि

37,500 रुपये

 

भेड़, बकरी, सुअर 

4,000 रुपये

 

दूध न देने वाले पशु ऊंट, घोड़ा, बैल आदि 

32,000 रुपये

 

मुर्गी पालन

10,000 रुपये तक

 मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 2 दिनों में उन्होंने स्वयं जलभराव वाले गांवों में जाकर स्थिति का जायजा लिया है और लोगों से बात की है। धरातल पर नरमा, धान व बाजरा की फसलों को नुकसान हुआ है। इसके लिए अधिकारियों को ड्रोन से भी मैपिंग करवाने की निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में है और अधिकारी व कर्मचारी मुस्तैदी से लोगों को आवश्यक सुविधाएं व सहायता पहुंचा रहे हैं।

 इस अवसर पर सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक श्री के. मकरंद पांडुरंग और मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री भारत भूषण भारती उपस्थित रहे।

*जम्मूकश्मीर और पंजाब के बाद हिमाचल को भी हरियाणा सरकार ने भेजे 5 करोड़ रुपये*

 *मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे एक माह का वेतनजल भराव से प्रभावित लोगों को शीघ्र पहुंचेगी राहत*

 *अधिकारियोंकर्मचारियों और सामाजिक संस्थाओं से भी किया सहयोग का आह्वान*

 *संकट की घड़ी में हरियाणा सरकार जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी – मुख्यमंत्री*

 चंडीगढ़, 8 सितंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर और पंजाब में बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए 5-5 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी। इसी क्रम में आज हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान को देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये की सहायता राशि हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री राहत कोष में भेजी गई है। 

 मुख्यमंत्री ने यह बात आज मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

 उन्होंने बताया कि सभी मंत्रीगण, पार्टी के विधायकों तथा समर्थित विधायकों से एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का अनुरोध किया गया है ताकि बचाव और पुनर्वास कार्यों को गति प्रदान करते हुए परिवारों को त्वरित राहत प्रदान की जा सके।

 इसके साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से भी आग्रह किया गया है कि वह अपनी इच्छा अनुसार मुख्यमंत्री राहत कोष में मदद करें।

 साथ ही, सामाजिक संगठनों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से भी सहयोग का अनुरोध किया गया है ताकि प्रभावित लोगों तक समय पर सहायता पहुंचाई जा सके।

 *राहत कोष सभी के लिए खुला हैहर कोई कर सकता है योगदान*

 विपक्ष से राहत कोष में योगदान देने संबंधी अपील को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष सभी के लिए खुला है और कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार योगदान कर सकता है।

 *पड़ोसी धर्म निभाना हमारा दायित्वहरियाणा सरकार पूरी तरह पंजाब के साथ खड़ी - नायब सिंह सैनी*

 पंजाब में कल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पड़ोसी धर्म निभाना हमारा दायित्व है। उन्होंने बताया कि उन्होंने आज पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान से मिलकर उनका स्वास्थ्य और कुशलक्षेम पूछा और पंजाब पर आई प्राकृतिक आपदा के बारे में भी जानकारी ली है। श्री सैनी ने कहा कि हरियाणा सरकार और पार्टी की ओर से पंजाब को लगातार सहायता और राहत सामग्री भेजी जा रही है और साथ ही अन्य सहायता की आवश्यकता के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब हमारा भाई है और हरियाणा सरकार पूरी तरह से पंजाब के साथ खड़ी है।

 *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के बीचकांग्रेस का युवराज विदेश में*

 विपक्ष द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा है विपक्ष के नेता बाहर निकले हैं, वरना पहले तो केवल ट्वीट करके ही अपनी जिम्मेदारी निभाते थे। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जब भी देश पर विपत्ति आती है, कांग्रेस का युवराज विदेश चला जाता है। इसके विपरीत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब भी देश में कहीं प्राकृतिक आपदा आती है तो अपने कार्यक्रम रद्द करके सीधे जनता के बीच पहुंचते हैं। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो संकट की घड़ी में जनता के बीच खड़े रहते हैं। प्रधानमंत्री जो बात मन से और दिल से कहते हैं, उसे समय पर पूरा भी करते हैं।

 किसानों की फसल क्षति के बारे में पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर किसानों द्वारा लगातार पंजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने स्वयं फील्ड में जाकर फसल क्षति का जायजा लिया है। उन्होंने बताया कि एक माह पूर्व ही किसानों को मुआवजे के रूप में 88.50 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं लगातार फील्ड में लोगों के संपर्क में हैं और स्थिति पर नजदीकी से नजर बनाए हुए हैं। संकट की इस घड़ी में हरियाणा सरकार लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

 इस अवसर पर सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक श्री के. मकरंद पांडुरंग और मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री भारत भूषण भारती उपस्थित रहे।

 

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