यूरोप में रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। सोमवार, 15 सितंबर 2025 को एक बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जब पोलैंड ने अपने क्षेत्र में NATO सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दे दी। इस फैसले ने न केवल रूस को सीधे चुनौती दी है, बल्कि यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नए सवाल भी खड़े कर दिए हैं। इसी बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने दुनिया को चेतावनी दी है कि यदि रूस की आक्रामकता पर अभी लगाम नहीं कसी गई, तो आने वाले समय में इसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा।
पोलैंड का फैसला और NATO की रणनीति
पोलैंड लंबे समय से रूस की गतिविधियों को लेकर सतर्क रहा है। रूस द्वारा यूक्रेन में हमलों को बढ़ाने और सीमा क्षेत्रों में सैन्य सक्रियता बढ़ाने के बाद पोलैंड ने NATO सहयोगियों के साथ मिलकर यह कदम उठाया। अब पोलैंड की जमीन पर अमेरिकी और यूरोपीय सैनिकों की मौजूदगी सीधे रूस की आंखों में आंख डालकर चुनौती देने जैसा है। NATO ने इसे एक "डिफेंसिव मूव" बताया है, लेकिन मॉस्को से तीखी प्रतिक्रिया आने की पूरी संभावना है।
जेलेंस्की की चेतावनी
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा कि रूस केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर NATO और यूरोपीय देश एकजुट नहीं हुए तो रूस का विस्तारवाद और भी खतरनाक रूप ले सकता है। उनकी इस चेतावनी को पोलैंड के फैसले के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि यह यूरोप की युद्ध तैयारी को नए स्तर तक ले जाता है।
रूस की प्रतिक्रिया और यूरोप की तैयारी
मॉस्को की ओर से अब तक आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन रूस पहले ही NATO के विस्तार को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बता चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि पोलैंड में सैनिकों की तैनाती से रूस और आक्रामक हो सकता है और यह टकराव सीधे यूरोपीय सीमाओं तक पहुंच सकता है। वहीं, यूरोपीय देश रक्षा खर्च बढ़ाने और सैन्य अभ्यास तेज करने में जुट गए हैं। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने पहले ही यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद बढ़ाने का वादा किया है।
संभावित असर
पोलैंड के इस कदम का असर न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया की भू-राजनीति पर पड़ेगा। ऊर्जा आपूर्ति, वैश्विक व्यापार मार्ग और सामरिक संतुलन अब और अस्थिर हो सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यदि हालात काबू से बाहर गए तो यह टकराव तीसरे विश्व युद्ध जैसे खतरे की ओर भी बढ़ सकता है।
पोलैंड की मंजूरी, NATO की सक्रियता और जेलेंस्की की चेतावनी यह संकेत दे रहे हैं कि यूरोप अब रूस के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहा है। सवाल यह है कि क्या यह रणनीति रूस को रोक पाएगी या फिर दुनिया को एक और बड़े युद्ध की ओर धकेल देगी।