नेपाल की राजनीति एक बार फिर बड़े मोड़ पर पहुंच गई है। देश में नए अंतरिम प्रधानमंत्री ने पद संभालने के कुछ ही घंटे बाद आम चुनाव की तारीख़ की घोषणा कर दी। यह कदम नेपाल के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य में नई हलचल पैदा करने वाला है।
पिछले कुछ महीनों से नेपाल में सियासी अस्थिरता लगातार बनी हुई थी। गठबंधन सरकारों के टूटने और सत्ता संतुलन में खिंचतान के कारण शासन व्यवस्था प्रभावित हो रही थी। इसी पृष्ठभूमि में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है, ताकि देश को समय पर चुनावों के माध्यम से स्थिर नेतृत्व मिल सके।
अंतरिम प्रधानमंत्री ने अपने पहले ही संबोधन में साफ किया कि लोकतंत्र को मजबूत करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने घोषणा की कि आम चुनाव तय समय पर होंगे और इसके लिए निर्वाचन आयोग को आवश्यक निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरी जिम्मेदारी और उत्साह के साथ हिस्सा लें।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव की तारीख़ की घोषणा से यह संदेश गया है कि वर्तमान नेतृत्व किसी भी प्रकार की देरी नहीं चाहता। हाल के वर्षों में नेपाल ने लगातार राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया है, जिसमें सरकारें अक्सर बदलती रही हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित हुए और जनता में असंतोष पनपा। ऐसे में नए प्रधानमंत्री का यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा कायम करने के लिहाज से अहम है।
नेपाल की अंतरिम सरकार के सामने बड़ी चुनौती देश को चुनाव तक शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से ले जाना है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और संवेदनशील इलाकों में विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं। चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
इस बीच, विपक्षी दलों ने कहा है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं, लेकिन सरकार को निष्पक्ष और पारदर्शी भूमिका निभानी होगी। विपक्ष का आरोप है कि पिछले चुनावों में प्रशासनिक संसाधनों का दुरुपयोग किया गया था। इस बार वे किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
नेपाल की जनता भी लंबे समय से स्थिर और जवाबदेह सरकार की उम्मीद लगाए बैठी है। बार-बार बदलते राजनीतिक समीकरणों से आम लोगों के जीवन पर असर पड़ा है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दे लंबे समय से अधूरे पड़े हैं। ऐसे में चुनाव के जरिए एक मजबूत जनादेश मिलना देश के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
कुल मिलाकर, अंतरिम प्रधानमंत्री द्वारा चुनाव की तारीख़ का तत्काल ऐलान नेपाल की लोकतांत्रिक यात्रा में एक अहम कदम है। अब सबकी निगाहें आने वाले महीनों पर टिकी हैं कि क्या यह चुनाव देश को स्थिर और दीर्घकालिक नेतृत्व दे पाएगा या राजनीतिक अनिश्चितता का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।