कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने अपनी भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए नार्मलाइजेशन प्रक्रिया में अहम बदलाव किए हैं। आयोग का कहना है कि नई व्यवस्था से उम्मीदवारों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा और सभी को समान अवसर प्रदान किया जाएगा।
क्या है नार्मलाइजेशन प्रक्रिया?
एसएससी की परीक्षाएं अक्सर कई शिफ्टों और अलग-अलग दिनों में आयोजित होती हैं। इस दौरान कुछ प्रश्नपत्र कठिन होते हैं तो कुछ अपेक्षाकृत आसान। इस असमानता को दूर करने के लिए "नार्मलाइजेशन" का फार्मूला अपनाया जाता है, ताकि सभी उम्मीदवारों का मूल्यांकन समान स्तर पर हो।
पहले की व्यवस्था और समस्याएँ
पहले लागू नार्मलाइजेशन फॉर्मूले को लेकर उम्मीदवारों की ओर से लगातार शिकायतें आ रही थीं। कई अभ्यर्थियों का कहना था कि कठिन प्रश्नपत्र वाले शिफ्ट के छात्रों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था। वहीं, आसान प्रश्नपत्र वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक मिल जाने से मेरिट में असंतुलन दिखाई देता था।
नई प्रक्रिया में बदलाव
आयोग ने विशेषज्ञों से परामर्श लेकर संशोधित फॉर्मूला तैयार किया है। अब हर शिफ्ट के प्रश्नपत्रों की कठिनाई का वैज्ञानिक तरीके से आकलन किया जाएगा। इस आधार पर अंक जोड़े या घटाए जाएंगे, ताकि सभी परीक्षार्थियों की तुलना समान स्तर पर हो सके। आयोग का दावा है कि इस नई प्रणाली से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि उम्मीदवारों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा भी सुनिश्चित होगी।
उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया
नई घोषणा के बाद अधिकांश अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली है। कई छात्रों का मानना है कि यह बदलाव लंबे समय से जरूरी था। हालांकि, कुछ उम्मीदवारों का मानना है कि आयोग को फॉर्मूले को सार्वजनिक रूप से साझा करना चाहिए ताकि पारदर्शिता और भरोसा और मजबूत हो सके।
आयोग की तैयारी
एसएससी ने यह भी साफ किया है कि नई प्रक्रिया आगामी सभी भर्ती परीक्षाओं में लागू होगी। आयोग ने उम्मीदवारों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और आधिकारिक वेबसाइट पर जारी निर्देशों का पालन करें।
एसएससी का यह कदम उम्मीदवारों की चिंताओं को कम करने और भर्ती प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। नई नार्मलाइजेशन प्रणाली से न केवल प्रतियोगी माहौल मजबूत होगा बल्कि चयन प्रक्रिया पर उठते सवालों पर भी विराम लगेगा।