प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (13 सितंबर 2025) मणिपुर के दौरे पर जा रहे हैं। नस्लीय हिंसा भड़कने के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी। मणिपुर लंबे समय से जातीय तनाव और हिंसा की वजह से सुर्खियों में रहा है। इस यात्रा को प्रदेश की शांति बहाली और पुनर्निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पिछले वर्ष से राज्य में लगातार अस्थिरता बनी हुई है। विभिन्न समुदायों के बीच टकराव ने न केवल सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित भी कर दिया। कई घर जले, बाजार उजड़े और शिक्षा व रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ा। केंद्र और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए।
पीएम मोदी की इस यात्रा को कई राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। उनके कार्यक्रम में चूड़ाचांदपुर जिले में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखना और कुछ तैयार योजनाओं का उद्घाटन करना शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री स्थानीय प्रतिनिधियों, नागरिक संगठनों और प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरे से सरकार का उद्देश्य यह संदेश देना है कि हिंसा और अस्थिरता के बीच विकास की प्रक्रिया को रोका नहीं जाएगा। केंद्र यह दिखाना चाहता है कि कानून-व्यवस्था के साथ-साथ विकास और पुनर्वास दोनों पर समान रूप से जोर दिया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी से एक ओर जहाँ स्थानीय प्रशासन को मजबूती मिलेगी, वहीं दूसरी ओर जनता का विश्वास भी बढ़ेगा। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि केंद्र ने देर से कदम उठाया और हिंसा के दौरान पर्याप्त त्वरित कार्रवाई नहीं हुई।
इस बीच सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पूरे राज्य में कड़ी निगरानी की जा रही है ताकि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना न हो। सेना और अर्धसैनिक बलों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है।
कुल मिलाकर, पीएम मोदी की यह यात्रा मणिपुर में शांति और विकास की नई उम्मीद जगाती है। अब देखना होगा कि यह दौरा राज्य की परिस्थितियों में कितना ठोस बदलाव ला पाता है।