मिज़ोरम में 14 सितंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया। 172 साल के लंबे इंतज़ार के बाद राज्य को पहली बार रेल संपर्क मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए 45 सुरंगों और 150 पुलों से होकर गुजरने वाली नई रेल लाइन को हरी झंडी दिखाई। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल लागत लगभग 8070 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
उत्तर-पूर्व में कनेक्टिविटी की नई राह
इस नई रेल लाइन से मिज़ोरम अब देश के अन्य हिस्सों से सीधे जुड़ सकेगा। अब तक यह राज्य सड़क और हवाई मार्ग पर ही निर्भर था, जिससे व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सीमित रहती थी। रेल संपर्क मिलने से न सिर्फ़ आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि पर्यटन और उद्योगों को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
परियोजना की खासियत
रेलवे मंत्रालय के अनुसार, इस लाइन का निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। घने जंगलों, पहाड़ी इलाकों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच 45 सुरंगें और 150 पुल बनाए गए हैं। इंजीनियरों और कामगारों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट को पूरा किया। यह पूर्वोत्तर के सबसे कठिन रेल प्रोजेक्ट्स में से एक माना जा रहा है।
पीएम मोदी का संबोधन
उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सिर्फ़ एक रेल लाइन नहीं है, बल्कि मिज़ोरम के लिए विकास और आत्मनिर्भरता का मार्ग है। उन्होंने इसे "नॉर्थ ईस्ट के लिए परिवर्तनकारी कदम" करार दिया और विश्वास जताया कि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
स्थानीय जनता में उत्साह
मिज़ोरम की जनता इस ऐतिहासिक पल की गवाह बनी। लंबे समय से यहां के लोग रेल संपर्क का इंतज़ार कर रहे थे। कटिंग-एज तकनीक और कड़ी मेहनत से तैयार इस लाइन के शुरू होने पर लोगों में खुशी और गर्व का माहौल देखा गया।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि रेल नेटवर्क के विस्तार से पूर्वोत्तर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। व्यापार आसान होगा, पर्यटक बढ़ेंगे और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार तक पहुंचाने में सहूलियत होगी। साथ ही, यह कनेक्टिविटी सामरिक दृष्टि से भी अहम है क्योंकि यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है।