लंदन की सड़कों पर 14 सितंबर 2025 को एक अभूतपूर्व नज़ारा देखने को मिला। शहर में एक लाख से ज्यादा लोग एंटी-इमिग्रेशन आंदोलन के तहत प्रदर्शन के लिए उतर आए। ये प्रदर्शनकारी ब्रिटेन में बढ़ते प्रवासियों और शरणार्थियों के खिलाफ नाराज़गी जाहिर कर रहे थे। प्रदर्शन इतना विशाल और उग्र हो गया कि पुलिस बल को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान कई पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों के हमले का शिकार भी बने।
प्रदर्शन का स्वरूप
प्रदर्शनकारियों ने लंदन के प्रमुख इलाकों में रैलियां निकालीं और सरकार से कड़े आव्रजन कानून लागू करने की मांग की। वे नारेबाज़ी करते हुए बैनर और तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर लिखा था – “ब्रिटेन पहले”, “सीमाएं बंद करो” और “प्रवासन पर रोक लगाओ”। भीड़ बढ़ने के साथ ही कई जगहों पर हालात बिगड़ने लगे और कुछ समूह पुलिस से भिड़ गए।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प
लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़े और कई जगहों पर सुरक्षा बलों पर पथराव किया। इससे न केवल अफरातफरी का माहौल बना, बल्कि कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए। स्थिति को काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों ने बल प्रयोग किया और कुछ इलाकों में वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया।
क्यों भड़की नाराज़गी?
ब्रिटेन में पिछले कुछ वर्षों में प्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या में लगातार इज़ाफा हुआ है। हालिया सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में काम और शरण की तलाश में आने वालों की तादाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। इसका असर रोज़गार, आवास और स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखाई देने लगा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रवासियों की वजह से उनकी नौकरियां प्रभावित हो रही हैं और संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। यही असंतोष अब बड़े पैमाने पर सड़कों पर दिखने लगा है।
सरकार का रुख
ब्रिटिश सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। गृहमंत्री ने बयान जारी करते हुए कहा कि हिंसा और अराजकता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार आव्रजन नीति पर पहले से ही काम कर रही है और नए कड़े कानून जल्द लागू होंगे। वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों को विफल बताते हुए कहा कि यही लापरवाही लोगों के गुस्से की असली वजह है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
लंदन जैसे वैश्विक शहर में इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों ने अंतरराष्ट्रीय हलकों का भी ध्यान खींचा है। कई संगठनों ने ब्रिटेन से अपील की है कि वह प्रवासियों और स्थानीय नागरिकों की चिंताओं के बीच संतुलन बनाए। वहीं, मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि एंटी-इमिग्रेशन लहर से समाज में विभाजन गहरा हो सकता है।
फिलहाल राजधानी लंदन में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और संभावित नए प्रदर्शनों पर नज़र रखी जा रही है। पुलिस ने अब तक दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि प्रवासन मुद्दे का समाधान जल्द नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।