रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव एक बार फिर गहराता दिखाई दे रहा है। सोमवार देर रात नाटो के हवाई क्षेत्र में रूसी लड़ाकू विमानों के घुसने की घटना सामने आई। ब्रिटेन ने इस पर तीखी आपत्ति जताई और तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए लंदन स्थित रूसी राजदूत को तलब किया। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने इसे "गंभीर उकसावे की कार्रवाई" करार दिया है।
सूत्रों के अनुसार, ब्रिटेन की वायुसेना ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट मोड पर भेजा और रूसी विमानों को सीमा से बाहर खदेड़ दिया। हालांकि इस दौरान किसी प्रकार की सीधी झड़प की खबर नहीं है। ब्रिटिश अधिकारियों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब रूस ने नाटो हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया हो। पिछले कुछ महीनों से इस तरह की घटनाएं लगातार दर्ज की जा रही हैं, जिससे सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
ब्रिटिश विदेश सचिव ने कहा, "रूस की इस कार्रवाई को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुला उल्लंघन है और इससे यूरोप की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।" उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोहराई गईं तो कड़ा राजनयिक और रणनीतिक जवाब दिया जाएगा।
दूसरी ओर, मॉस्को ने इन आरोपों से इंकार किया है। रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उसके लड़ाकू विमान नियमित अभ्यास पर थे और उन्होंने किसी भी देश के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया। मंत्रालय ने ब्रिटेन की प्रतिक्रिया को "अनावश्यक राजनीतिक रंग" देने की कोशिश बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना रूस और नाटो देशों के बीच बढ़ते तनाव को और गहरा सकती है। खासकर ऐसे समय में जब यूक्रेन युद्ध थमा नहीं है और पश्चिमी देश लगातार रूस पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बना रहे हैं। नाटो के कई सदस्य देश पहले ही आशंका जता चुके हैं कि रूस इस क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियां और तेज कर सकता है।
ब्रिटेन की संसद में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जहां विपक्ष ने सरकार से स्पष्ट रणनीति बनाने की मांग की। संसद सदस्यों ने कहा कि यदि रूस लगातार इस तरह के कदम उठाता रहा तो नाटो को सामूहिक सुरक्षा उपायों पर गंभीरता से विचार करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना केवल एक "हवाई टकराव" नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा है। रूस यह दिखाना चाहता है कि वह पश्चिमी प्रतिबंधों और दबाव के बावजूद यूरोप के आसमान में अपनी सैन्य मौजूदगी दर्ज कराने में सक्षम है। वहीं, ब्रिटेन और नाटो इसे सीधी चुनौती मानते हैं और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने के मूड में हैं।
फिलहाल, सभी की निगाहें आने वाले दिनों पर टिकी हैं कि क्या यह टकराव केवल राजनयिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा या फिर यह यूरोप में नए सुरक्षा संकट का रूप लेगा।