कश्मीर घाटी में सेब और अन्य फलों के सीजन के बीच ट्रकों की लंबी कतारों को देखते हुए प्रशासन ने विशेष रणनीति तैयार की है। ट्रैफिक पुलिस और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की मदद से अब तक करीब 1200 फलों से लदे ट्रक राष्ट्रीय राजमार्ग से सुरक्षित निकाल दिए गए हैं।
लंबा जाम और किसानों की चिंता
कश्मीर के किसानों और व्यापारियों की सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि फसल समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही थी। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बार-बार लगने वाले जाम और भूस्खलन के कारण ट्रक कई दिनों तक फंसे रहते थे। इससे न सिर्फ फलों की गुणवत्ता खराब होती थी, बल्कि किसानों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता था।
प्रशासन की नई पहल
स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने BRO, ट्रैफिक पुलिस और जिला अधिकारियों के सहयोग से विशेष ड्राइव शुरू की। इसके तहत प्रभावित मार्गों पर अतिरिक्त पुलिस बल और मशीनरी तैनात की गई। ट्रकों को प्राथमिकता से निकालने के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाया गया, जिससे फलों की खेप समय पर मैदानी इलाकों की मंडियों तक पहुंच सके।
किसानों और व्यापारियों को राहत
1200 ट्रकों के सुरक्षित निकाले जाने से किसानों और व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। किसानों का कहना है कि यदि इसी तरह प्रशासन सक्रियता दिखाए, तो फलों के खराब होने और दाम गिरने का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।
अधिकारियों का बयान
ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आने वाले दिनों में भी इसी तरह का अभियान जारी रहेगा। BRO की मशीनरी लगातार राजमार्ग को दुरुस्त करने में लगी हुई है। बारिश और भूस्खलन से जहां-जहां सड़क बाधित होती है, वहां तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
कश्मीर की अर्थव्यवस्था में फलों की अहमियत
गौरतलब है कि कश्मीर का सेब उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। हर साल लाखों टन सेब देश के अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं। समय पर ट्रांसपोर्टेशन न होने से घाटी के किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है।
नई रणनीति के चलते इस बार उम्मीद की जा रही है कि अधिकांश खेप समय पर बाजार तक पहुंचेगी और किसानों को उचित दाम मिल पाएंगे।