केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर से जुड़े सोने की कथित गड़बड़ी पर गंभीर रुख अपनाते हुए विजिलेंस विभाग को जांच का आदेश दिया है। आरोप है कि मंदिर की तिजोरी से करीब 4.5 किलो सोना गायब हो गया है। इस मामले को लेकर अदालत ने सख्ती दिखाई और संबंधित अधिकारियों से जवाब भी मांगा है।
मामला क्या है?
सबरीमाला मंदिर के खजाने से जुड़े रिकॉर्ड में विसंगतियों की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं। मंदिर प्रशासन की देखरेख करने वाले त्रावणकोर देवस्वं बोर्ड (TDB) पर सोने की गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मंदिर को श्रद्धालुओं द्वारा दान किया गया सोना सुरक्षित नहीं रखा गया और उसमें हेराफेरी की गई है।
अदालत की टिप्पणी
न्यायमूर्ति की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इतने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी से श्रद्धालुओं का विश्वास हिल सकता है। अदालत ने विजिलेंस को आदेश दिया कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विजिलेंस की भूमिका
विजिलेंस विभाग को अब यह जांच करनी होगी कि सोना कहां गया, किस स्तर पर गड़बड़ी हुई और इसमें कौन-कौन शामिल था। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर प्रशासन के कुछ अधिकारियों पर संदेह जताया जा रहा है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी।
श्रद्धालुओं की चिंता
सबरीमाला मंदिर देश के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान अयप्पा के दर्शन करते हैं और सोना-चांदी सहित भारी मात्रा में दान करते हैं। ऐसे में सोने की गड़बड़ी की खबर ने भक्तों में असंतोष और चिंता बढ़ा दी है।
केरल सरकार और देवस्वं बोर्ड ने अदालत को भरोसा दिलाया है कि वे जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे। मामले की अगली सुनवाई जल्द निर्धारित की जाएगी। अदालत की निगरानी में विजिलेंस की जांच से उम्मीद की जा रही है कि यह साफ होगा कि 4.5 किलो सोना वास्तव में गायब हुआ या रिकॉर्ड में गड़बड़ी हुई है।
यह मामला न केवल मंदिर प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि धार्मिक संस्थानों में दान की सुरक्षा को लेकर व्यापक बहस भी छेड़ सकता है।