कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर दस अहम सवाल उठाए हैं और एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं और लोकतंत्र की पारदर्शिता को लेकर जनता में संशय बढ़ रहा है।
राहुल गांधी के मुख्य सवाल
अपने पत्र में राहुल गांधी ने खासतौर पर चुनाव प्रक्रिया और पारदर्शिता को लेकर सवाल किए हैं। इनमें प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
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EVM और VVPAT की गिनती में पारदर्शिता क्यों नहीं है?
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हर मतदान केंद्र पर VVPAT मिलान अनिवार्य क्यों नहीं किया जाता?
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मतदाता सूची में बार-बार गड़बड़ी क्यों होती है?
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चुनाव के दौरान फंडिंग के स्रोत सार्वजनिक क्यों नहीं किए जाते?
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चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की अवैध खर्च रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं करता?
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आचार संहिता के उल्लंघन पर निर्णय लेने में देरी क्यों होती है?
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चुनाव आयोग के अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं है?
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चुनावी खर्च की सीमा लागू करने के बावजूद अत्यधिक खर्च पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती?
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संवेदनशील सीटों पर सुरक्षा और निगरानी की पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं होती?
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क्या चुनाव आयोग सरकार से स्वतंत्र होकर काम करता है या उस पर दबाव रहता है?
एक हफ्ते की समयसीमा
राहुल गांधी ने कहा है कि इन सवालों के जवाब जनता जानना चाहती है। इसलिए वे चाहते हैं कि चुनाव आयोग इन पर एक हफ्ते के भीतर स्पष्ट जवाब दे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जवाब नहीं मिला तो कांग्रेस इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर उठाएगी।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा दौर में चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक भूमिका निभाने में असफल रहा है। पार्टी का कहना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं और अगर उस पर संदेह होगा तो संस्थाओं की विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी।
राजनीतिक हलचल
राहुल गांधी के इन सवालों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस कदम का समर्थन किया है, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे केवल राजनीतिक बयानबाजी बताया है। अब सबकी नजर चुनाव आयोग पर है कि वह राहुल गांधी के सवालों का क्या और कैसे जवाब देता है।