वैश्विक राजनीति के बीच अब फिलिस्तीन ने भी BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का हिस्सा बनने की इच्छा ज़ाहिर की है। फिलिस्तीन ने औपचारिक रूप से BRICS सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि इस पहल को चीन का समर्थन भी मिल चुका है, जिसने इसे “नए वैश्विक संतुलन की दिशा में अहम कदम” बताया है।
फिलिस्तीन की कूटनीतिक चाल
फिलिस्तीन लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैश्विक मंचों पर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता की मांग करता रहा है। हालांकि अमेरिका और पश्चिमी देशों के विरोध के कारण इसे अभी तक पूर्ण अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई है। ऐसे में BRICS जैसे प्रभावशाली समूह का हिस्सा बनने की पहल फिलिस्तीन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने का जरिया मानी जा रही है।
चीन का खुला समर्थन
चीन ने फिलिस्तीन की BRICS सदस्यता का खुलकर समर्थन किया है। बीजिंग का कहना है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के इस समूह में फिलिस्तीन की भागीदारी विकासशील देशों की आवाज़ को और बुलंद करेगी। चीन पहले से ही पश्चिम एशिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है—चाहे ईरान-सऊदी समझौते की मध्यस्थता हो या ग़ाज़ा संघर्ष पर राजनीतिक बयानबाज़ी। अब फिलिस्तीन को समर्थन देना उसकी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे वह अमेरिका के प्रभाव को चुनौती दे सके।
भारत और अन्य देशों की भूमिका
भारत ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि भारत फिलिस्तीन का पारंपरिक समर्थक रहा है, लेकिन इजरायल के साथ बढ़ते रणनीतिक और रक्षा संबंधों को देखते हुए उसका रुख संतुलित रहने की संभावना है। रूस और दक्षिण अफ्रीका भी फिलिस्तीन के पक्ष में नरम रुख अपनाने की संभावना रखते हैं, क्योंकि दोनों देश पहले भी इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में पश्चिमी नीतियों की आलोचना कर चुके हैं।
BRICS के विस्तार की दिशा
BRICS ने हाल के वर्षों में अपने दायरे को बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। 2023 और 2024 में सऊदी अरब, मिस्र, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को समूह में शामिल किया गया। इससे यह स्पष्ट है कि संगठन अब केवल आर्थिक सहयोग का मंच न रहकर भू-राजनीतिक संतुलन बनाने की भूमिका निभा रहा है। फिलिस्तीन की संभावित सदस्यता उसी रणनीति की अगली कड़ी हो सकती है।
वैश्विक असर
अगर फिलिस्तीन को BRICS में शामिल किया जाता है, तो यह न सिर्फ उसके लिए ऐतिहासिक होगा बल्कि इजरायल और अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका भी माना जाएगा। अमेरिका लंबे समय से BRICS के विस्तार को संशय की निगाह से देखता रहा है। फिलिस्तीन की मौजूदगी से पश्चिम एशिया की राजनीति और भी जटिल हो सकती है।
फिलिस्तीन का BRICS में शामिल होने का आवेदन उस दिशा में एक साहसिक कदम है, जिससे वह वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान और मज़बूत करना चाहता है। चीन का समर्थन मिलने के बाद अब सबकी निगाहें रूस, भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की स्थिति पर टिकी हैं। आने वाले महीनों में यह तय होगा कि क्या फिलिस्तीन वास्तव में BRICS का हिस्सा बनकर वैश्विक शक्ति समीकरणों में नई परिभाषा गढ़ पाएगा।