जापान के इतिहास में आज का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया है। देश में पहली बार किसी महिला के प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। संसद के विशेष सत्र में रविवार, 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री पद के लिए मतदान होगा, जिसमें सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की नेता सेइको नोडा के चुने जाने की लगभग पूरी संभावना जताई जा रही है।
ऐतिहासिक बदलाव की ओर जापान
पारंपरिक रूप से पुरुषप्रधान राजनीति वाले जापान में यह बदलाव सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सेइको नोडा जापान की वरिष्ठ और अनुभवी राजनेताओं में गिनी जाती हैं। वे इससे पहले आंतरिक मामलों और संचार मंत्री रह चुकी हैं और लंबे समय से महिला सशक्तिकरण और समानता के मुद्दों को उठाती रही हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने के साथ जापान एशिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जहां महिलाएं सर्वोच्च पद तक पहुंची हैं।
क्यों बनी यह स्थिति?
यह राजनीतिक परिवर्तन तब आया है जब प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बीते सप्ताह स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया। किशिदा सरकार की लोकप्रियता पिछले कुछ महीनों में आर्थिक सुस्ती, बढ़ती महंगाई और सुरक्षा नीतियों को लेकर गिरती जा रही थी। ऐसे में LDP ने नई नेतृत्व के रूप में नोडा पर भरोसा जताया है, जो पार्टी के भीतर भी सुधारवादी और संतुलित विचारधारा के लिए जानी जाती हैं।
महिला नेतृत्व से नई उम्मीदें
नोडा ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश करते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि जापान की राजनीति में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित हो। मैं देश के हर नागरिक की आवाज़ संसद तक पहुंचाने का काम करूंगी।” उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार, कार्यस्थल पर लैंगिक समानता, वृद्धजन कल्याण और रक्षा नीति में पारदर्शिता को अपनी प्राथमिकताएं बताया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और वैश्विक महत्व
नोडा के संभावित चुनाव को लेकर वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। अमेरिका, फ्रांस और भारत सहित कई देशों के नेताओं ने कहा है कि यह जापान की राजनीति में “आधुनिक युग की शुरुआत” साबित होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके नेतृत्व में जापान न केवल घरेलू सुधारों पर ध्यान देगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक स्थिति भी मजबूत करेगा।
महिलाओं के लिए प्रेरणा का क्षण
जापान में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी तो बढ़ी है, लेकिन राजनीति में उनकी उपस्थिति अब तक सीमित रही है। सेइको नोडा के प्रधानमंत्री बनने से यह धारणा टूटेगी और देश में लैंगिक समानता को नई गति मिलेगी। समाजशास्त्रियों का कहना है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक साबित होगा।