बिहार की सियासत इस बार एक ऐतिहासिक मोड़ पर है। लगभग 40 साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इसका औपचारिक ऐलान किया, जिसके तहत पहला चरण 3 नवंबर और दूसरा चरण 17 नवंबर को होगा। नतीजों की घोषणा 21 नवंबर को की जाएगी।
दो चरणों में मतदान की रणनीति
चुनाव आयोग के अनुसार पहले चरण में बिहार के उत्तर और मध्य इलाकों की 121 सीटों पर मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में दक्षिणी और सीमांचल क्षेत्र की 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। आयोग ने कहा कि इस बार सुरक्षा, त्योहारों और मौसम की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दो चरणों में मतदान कराने का निर्णय लिया गया है। राज्य के संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त सुरक्षाबल की तैनाती की जाएगी।
राजनीतिक दलों में हलचल तेज़
घोषणा के साथ ही सभी प्रमुख दलों—राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस—ने अपनी चुनावी तैयारियों में तेजी ला दी है। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के नेतृत्व वाला गठबंधन इस चुनाव को अपनी साख से जोड़कर देख रहा है, जबकि राजद ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवाओं और रोजगार के मुद्दे को केंद्र में रखकर अभियान शुरू किया है। भाजपा ने “विकास और स्थिरता” को अपना मुख्य नारा बनाया है।
चालीस साल बाद ऐसा मौका क्यों?
बिहार में आखिरी बार दो चरणों में चुनाव वर्ष 1985 में हुए थे। उस समय राज्य में सीमित संसाधनों और सुरक्षा कारणों से चरणबद्ध मतदान कराया गया था। इस बार आयोग का कहना है कि बड़ी जनसंख्या, संवेदनशील सीमाएं और बढ़ते राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण यह मॉडल फिर से अपनाया जा रहा है।
मतदाताओं की भूमिका अहम
राज्य में करीब 7.5 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें लगभग 3.2 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। आयोग ने पहली बार 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं और दिव्यांग जनों के लिए घर-घर जाकर मतदान की सुविधा की घोषणा की है। युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए डिजिटल जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।